कई सालों से गेहूं की कटाई के बाद बचे ठूठों और धान की बाली से दाना निकालने के बाद उसे खेत में ही जलाने का रिवाज शुरू हो गया है. इस कारण दिल्ली समेत कई राज्यों में प्रदूषण का भारी संकट भी छाने लगता है. मगर इस साल किसानों को पराली जलाना भारी संकट में डाल सकता है, क्य़ोंकि इस साल हरियाण प्रशासन पराली जलाने वाले किसानों के प्रति सख्त रवैया अपना रहा है.
बता दें कि प्रशासन ने पराली जलाने पर 7 किसानों पर 17500 रुपए का जुर्माना लगाया है.
पराली जलाने पर हजारों रुपए का जुर्माना (Thousands of rupees fine for burning stubble)
दरअसल, गांव कालांवाली के एक किसान ने खेत में गेंहू के अवशेषों में आग लगा रखी थी. इस दौरान तहसीलदार भुवनेश कुमार की नजर पराली जलते खेत पर पड़ गई. इसके बाद उन्होंने तुरंत कृषि विभाग और संबंधित पटवारी को कार्रवाई करने का निर्देश दे दिया. कृषि विभाग के एडीओ ने किसान पर 2500 रुपए का जुर्माना लगा दिया.
इसके अलावा गांव नुहियांवाली के दो किसान, गदराना, मिठड़ी, तिलोकेवाला, ओढ़ां के एक-एक किसान पर 2500-2500 रुपए का जुर्माना लगाया गया है. इसके साथ ही पराली न जलाने की सख्त चेतावनी दी. ध्यान दें कि अगर किसान 1-2 एकड़ में धान की पराली को पहली बार जलाता है, तो उस पर 2500 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.
अगर 2-5 एकड़ में पराली जलाई, तो 5 हजार रुपए का जुर्माना, तो वहीं इससे अधिक एकड़ खेत में पराली जलाने पर किसान को 15 हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा.
आपको बता दें कि राज्य में कुछ किसान गेहूं की फसल काटने के बाद पराली खेतों में जला रहे हैं, प्रशासन ऐसी शिकायत मिलने के बाद सख्त होता दिख रहा है. इसके साथ ही प्रशासन ने पराली जलाने वाले किसानों को चिह्नित करने का आदेश दिया है.
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कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि खेतों में गेहूं के डंठल जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है. इसके साथ ही पर्यावरण को भारी नुकसान होता है. इतना ही नहीं, इसकी वजह से कई गंभीर बीमारियां भी फैलती हैं. ऐसे में किसानों को खेतों में पराली नहीं जलानी चाहिए. मगर किसान इसके बावजूद भी पराली जला रहे हैं, जिसकी सूचना लगातार प्रशासन को मिल रही है.
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