जहाँ एक तरफ किसान खाद की कमी से लगातार परेशान होते नज़र आ रहे हैं, तो वहीँ दूसरीं तरफ अब ऐसा लगने लगा है कि इस बार उनकी सुनने वाला कोई भी नहीं है. पिछले कुछ समय से किसान बिना खाद ही फसलों की बुवाई कर खुद को अधिक नुकसान होने से बचाते नज़र आ रहे हैं. आपको बता दें कि खाद की कमी, उपज की कम कीमत और किसानों के खरीदे अनाज को रखने में लापरवाही की जा रही है.
कौड़ियों में भी नहीं बिक रहा प्याज
खाद की कमी तो बुवाई शुरू होने से दिसंबर के अंत तक बनी हुई है. इस परेशानी से तंग आकर किसानों ने सरकार को अपने घेरे में लेते हुए कहा की सरकार दिल्ली दौड़ लगा रही है और बयान कुछ और दे रही है. विधानसभा में कुछ और बता रही है. उधर विदिशा में खुले में रखा धान भीगा, तो मंदसौर में बेमौसम की बारिश ने प्याज किसानों पर कहर ढाया है. कृषि उपज मंडी में रखी किसानों की प्याज की फसल भीग गई, जिसकी वजह से उसे कोई कौड़ियों में भी खरीदने को तैयार नहीं है. सुबह से दुकान पर लाइन लग रही हैं. हालात बिगड़े ना इस वजह से पुलिस की मौजूदगी में खाद वितरण हो रहा है.
फसल की बुवाई हो गई है, लेकिन खाद की किल्लत अभी भी बनी हुई है. महिलाएं-बच्चों को भी लाइन में लगना पड़ रहा है. वहीं मंदसौर की मंडी में बेमौसम बरसात ने प्याज पर कहर ढाया है. जो प्याज आप 20-25 रु. प्रति किलो खरीद रहे हैं, उनके लिये इन किसानों को 50 पैसे प्रति किलो से लेकर ₹1 प्रति किलो तक ही मिल रहा है. किसानों के साथ हो रही इस परेशानी को देखने वाला कोई भी नहीं है.
भालोट के किसानों के मुताबिक, मंडी में आए 3 दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक उनकी फसल को कोई खरीददार नहीं मिला है. यही हाल रहा तो फसल मंडी में छोड़कर जाने को मजबूर होंगे. फसल को 50 पैसे प्रति किलो से लेकर ₹1 प्रति किलो के दाम मिल रहे हैं. इसमें लागत भी नहीं निकल रही है. मंडी तक लाने का भाड़ा भी नहीं मिल पा रहा है.
वहीं, दूसरे किसानों ने बताया कि हमारी फसल 50 पैसे से लेकर ₹1 किलो तक बिक रही है. वहीँ किसानों को 40 से ₹50 का खर्च आता है. हम कृषि उपज मंडी अपनी फसल लेकर आते हैं, तो प्रति कुंटल लगभग ₹100 का हमारा बड़ा होता है और जब ₹50 कुंटल में फसल बेच रहे हैं तो हमें जेब से ₹50 कुंटल का भुगतान करना पड़ रहा है. बता दें कि विदिशा मंडी में 953 मिट्रिक टन धान, जिसकी कीमत लगभग डेढ़ करोड़ रुपये है, वो दो साल से रखी है और सड़ चुकी है.
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डीएपी का लक्ष्य 8.50 लाख मेट्रिक टन है और मिला 5.40 लाख मेट्रिक टन है वहीं, एनपीके का लक्ष्य 2.35 मेट्रिक टन है और मिला 3.44 लाख मेट्रिक टन है. इसके अलावा पोटाश का लक्ष्य 0.80 मेट्रिक टन मिला है, जो 0.56 लाख मेट्रिक टन मिला है
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