कोरोना के बाद आम दिनचर्या की बात करें, तो बहुत कुछ बदल गया है. इम्युनिटी बढ़ाने को लेकर लोग काफी सचेत हो गये हैं. आम आदमी की खाने की आदतों में भी बदलाव आया है. इसलिए किसान फल और सब्जियों की खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे है.
ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों (Agriculture Scientist) का कहना है कि किसानों को इस समय सब्जियों के अच्छे दाम मिल रहे हैं. हालांकि, सब्जी उगाते वक्त इन दिनों बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरुरत होती है. ठंड की वजह से कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University) पूसा के सीनियर वैज्ञानिक ने बताया कि सफेद सड़ांध रोग इस सीजन में बहुत परेशान करता है. यह एक विनाशकारी रोग (Devastating Disease) है, जो फ्रेंच बीन पौधों के सभी उपरी हिस्सों को संक्रमित कर सकती है. इस रोग का रोग कारक फ्रेंच बीन राजमा के अतरिक्त कई अन्य फसलों को भी आक्रांत करता है जैसे ,बीन, ब्रैसिका, गाजर, धनिया, खीरा,सलाद, खरबूज, प्याज,कुसुम, सूरजमुखी, टमाटर जैसे फसलों के लिए घातक है.
कृषि वैज्ञानिक की 4 टिप्स
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि भूरा-भूरा नरम सड़ांध पत्तियों, फूलों या फली पर विकसित होती है, उसके बाद एक सफेद रूई जैसी संरचना (Cottony Mold ) का विकास होता है. मिट्टी के सतह के पास तने में संक्रमण की वजह से पौधे गल जाते है. काली सरसों के दाने जैसी (Black, Seed-Like Resting Bodies) संरचना बनती है, जिसे ‘स्क्लेरोटिया’ कहा जाता है, तने के अंदर मोल्ड विकसित होती है. इस रोग के प्रति पौधे सभी उम्र में अतिसंवेदनशील होते हैं, लेकिन ज्यादातर संक्रमण फूल आने के दौरान और बाद में फलियों पर होता है.
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डॉक्टर सिंह के मुताबिक, वायु जनित बीजाणु (ascospores) पुराने और मरने वाले फूलों को संक्रमित (infected) करते हैं फिर कवक आस पास के ऊतकों और अंगों में बढ़ता है, जो तेजी से उत्तर मर जाते हैं. पत्तियों और शाखाओं पर गिरने वाले संक्रमित फूल भी एक फसल के भीतर रोग को फैलाएंगे. एक जगह से दूसरे जगह ले जाते समय और भंडारण में फली पर सफेद सड़ांध रोग विकसित हो सकता है. इस रोग का फैलाव वायुजनित (airborne) बीजाणु द्वारा होता है. इस रोग के बीजाणु हवा द्वारा कई किलोमीटर तक फैल सकते है.
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इस रोग का फैलाव घने पौधे की वजह से, लंबे समय तक उच्च आर्द्रता (high humidity), ठंडा, गीला मौसम की वजह से ज्यादा फैलता है. 20 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के इष्टतम रेंज के साथ 5 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर सफेद सड़ांध विकसित होती है. स्क्लेरोटिया पर्यावरण की स्थिति के आधार पर कई महीनों से लेकर 7 साल तक कहीं भी मिट्टी में जीवित रह सकता है. मिट्टी के शीर्ष 10 सेमी में स्केलेरेट्स शांत, नम स्थितियों के संपर्क में आने के बाद अंकुरित होंगे.
- इस रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि सिंचाई ना करें और दोपहर में सिंचाई से बचें. फूल आने के समय एक कवकनाशी (fungicide)(साफ या कार्बेन्डाजिम (carbendazim) @2ग्राम/लीटर के साथ spray करें. घनी फसल लगाने से बचें. संक्रमित फसल में जुताई गहरी करनी चाहिए. रोग की उग्र अवस्था में बीन्स के बीच में कम से कम 8 साल का फसल चक्र अपनाना चाहिए.
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