केंद्र सरकार ने गन्ने किसानों के लिए एक बड़ी राहत है. दरअसल, सरकार ने गन्ने का उचित और लाभकारी एफआरपी मूल्य 10 रुपए बढ़ा दिया है. इसके बाद गन्ना 285 रुपए प्रति क्विंटल बिकेगा. यह मूल्य अक्टूबर से शुरू होने वाले नए मार्केटिंग सत्र के लिए तय किया गया है. बता दें कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों को लेकर बैठक हुई थी, जिसमें यह फैसला लिया गया है.
गन्ना 285 रुपए प्रति क्विंटल बिकेगा
इस बैठक में एफआरपी दाम 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने को मंजूरी दी गई है. यह 2020-21 (अक्तूबर-सितंबर) मार्केटिंग वर्ष के लिए है. यह गन्ने का न्यूनतम मूल्य होता है, जिसे चीनी मिलों को गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान करना होता है. बता दें कि खाद्य मंत्रालय की तरफ से अगले मार्केटिंग सत्र के लिए प्रस्ताव दिया था कि गन्ने का एफआरपी 275 रुपए से बढ़ाकर 285 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया जाए. इसके बाद यह फैसला कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश के मुताबिक लिया गया है.
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जानकारी के लिए बता दें कि सीएसीपी वह सांविधिक संस्था है, जो सरकार को प्रमुख कृषि उत्पादों के दाम को लेकर सलाह देती है. एफआरपी को गन्ना (नियंत्रण) आदेश 1966 के तहत तय किया जाता है. गन्ना उत्पादक राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा खुद फसल का न्यूनतम मूल्य निर्धारित करते हैं. इसको स्टेट एडवाइजरी प्राइज या एसएपी कहा जाता है. यह आमतौर पर केंद्र सरकार के एफआरपी से अधिक होता है.
सरकार की तरफ से उम्मीद जताई जा रही है कि चालू मार्केटिंग सत्र में गन्ने का कुल उत्पादन 280 से 290 लाख टन रह सकता है. बता दें कि गन्ने का चालू मार्केटिंग सत्र अगले महीने समाप्त हो रहा है. देश में पिछले साल 2018-19 में लगभग 331 लाख टन गन्ने का उत्पादन हुआ था. इस साल महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती में कमी आई है, इसलिए चालू सत्र में गन्ने का उत्पादन कम हो सकता है.
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