सरसों के हाइब्रिड जीएम धारा एमएच-11 के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को केंद्र की सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया है कि वैज्ञानिकों की लंबी समीक्षा प्रक्रिया के बाद जीएम हाइब्रिड की पर्यावरण रिलीज को मंजूरी दी गई है.
केंद्र द्वारा बेंच को एक हलफनामा भी दिया गया है. इसमें कहा गया है कि- मधुमक्खियों, परागकण को जीएम सरसों से होने वाले नुकसान के दावों काआईसीएआर अध्ययन करेगा.
'जीएम से जुड़े दस्तावेज बेंच के समक्ष रखने के लिए मिले थोड़ा समय'
अदालत ने 3 नवंबर को केंद्र से कहा था कि अगली सुनवाई तक आनुवांशिक रूप से संशोधित सरसों की रोपाई की अनुमति नहीं दी जाए. केंद्र की सॉलिसीटर ने अदालत से कहा है कि जीएम सरसों से जुड़े दस्तावेज बेंच के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए उन्हें थोड़ा समय चाहिए.
हलफनामा, जीएम सरसों के खिलाफ दायरा याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरण रिलीज में अपनाई गई प्रक्रियाओं की सरकार द्वारा पहली आधिकारिक स्वीकृति है. केंद्र ने अपने 67 पन्नों के हलफनामें में जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (सीजीएमसीपी) द्वारा दिए गए आवेदन की पृष्ठभूमि, पर्यावरण रिलीज को सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया, डीएमएच-11 की अनुमति इसके वैज्ञानिक और सामाजिक-आर्थिक महत्व को प्रस्तुत किया है.
न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने पिछली सुनवाई में कहा था जीएम सरसों के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया था कि हाइब्रिड पर्यावरण और मधुमक्खी परागकण के लिए खतरनाक है.
खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनने के लिए जीएम तकनीक जरूरी: केंद्र
केंद्र ने कहा है कि व्यावसायिक खेती से पहले पर्यावरण रिलीज को मंजूरी, हाइब्रिड के परीक्षण करने और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की देखरेख में बीज उत्पादन करने के लिए है.
केंद्र के अनुसार भारत में 50-60 प्रतिशत विदेशों से खाद्य तेल आयात किया जाता है. देश को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनने के लिए तिलहन में जीएम तकनीक के उपयोग की आवश्यकता है.
हलफनामें में कहा गया है कि सरसों पिछले रबी सीजन में 90 लाख हेक्टेयर में सरसों उगाई गई थी. इनमें बीज खरीदने वाले किसानों की दर 63 प्रतिशत थी. सरसों का सिंचित क्षेत्र 83 प्रतिशत तक पहुंच गया है. इसके बावजूद सरसों की पैदावार ठप है. धारा डीएमएच-11 को हर्बिसाइट टॉलरेंट (एचटी) तकनीक के रूप में विकसित नहीं किया गया है.
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'देश की नियामक प्रणाली जर्जर अवस्था में है'
याचिकाकर्त्ता अरुणा रोड्रिग्स की ओर से मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा था कि अदालत द्वारा बनाई जीएम फसलों के लिए बनाई गई बेंच ने एचटी फसलों की व्यावसायिक खेती न करने की सलाह दी थी. अधिवक्ता ने कहा कि देश में नियामक प्रणाली जर्जर अवस्था में है. इसे मजबूत बनाने के लिए कम से कम 10 साल की आवश्यकता है.
मामले की अगली सुनवाई के लिए बेंच ने 17 नवंबर की तारीख तय की है.
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