कश्मीर में जहाँ सुन्दर वादियों का नज़ारा देखने को मिलता है, वहीं दूसरी तरफ आतंकी हमले होते थे. लेकिन धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में अब व्यापारिक गतिविधियाँ तेज हो गई है . इसी के मद्देनज़र कश्मीर कृषि विभाग ने पहली बार श्रीनगर में ऑर्गेनिक बाजार की शुरुआत की है. कोरोना काल में आजकल हर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो गया है. खासतौर पर खाद्य उत्पादों के चयन को लेकर काफी सतर्कता बरती जा रही है. लोग अब उन्ही खाद्य पदार्थों को खरीदना चाहते हैं जो कि रसायन मुक्त हों. आर्गेनिक उत्पादों की मांग की पूर्ति के लिए कश्मीर में प्रारम्भ हुआ आर्गेनिक बाज़ार, पूरी जानकारी पढ़ियें इस लेख में-
बेचें जा रहे है आर्गेनिक उत्पाद Selling Organic Products
आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को लाभ हो रहा है. उनकी आमदनी में भी अब जबरदस्त इज़ाफा नज़र आ रहा है. इसी तारतम्य में अब कश्मीर के कृषि विभाग ने आर्गेनिक उत्पादों को बाज़ार में उचित मूल्य पर उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है. कृषि विभाग ने पहली बार श्रीनगर में ऑर्गेनिक बाजार की शुरुआत की है. जिसमें सिर्फ ऑर्गेनिक सब्जियां और फल बेचे जाएंगे. आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने श्रीनगर में पहला आर्गेनिक बाजार खोला है. इस बाजार में घाटी के पांच जिलों के किसान अपने आर्गेनिक सामान को लोगो को आसानी से बेच सकेंगे .
श्रीनगर , बारामुला , पुलवामा , बंदिपोर और गांदरबल में आर्गेनिक खेती करने वाले ३०० से ज्यादा किसान शामिल हैं. आने वाले दिनों में प्रदेश सरकार जम्मू कश्मीर आरोग्य ग्राम योजना के अन्तर्गत आर्गेनिक खेती को राज्य में बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. जिसके लिए केंद्र सरकार ने 25 करोड़ की राशि भी दी है.
ये बाजार कृषि कार्यालय में लगाया जा रहा है और शुरुआत के कुछ ही दिनों में लोगों की भीड़ यहां जुटने लगी है. आलम ये है कि बाजार में बिक्री शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर काउंटर खाली हो जाते हैं. जम्मू कश्मीर कृषि विभाग के निदेशक नेदअल्ताफ अंद्राबी के मुताबिक़ आर्गेनिक खेती के लिए बाज़ार नहीं मिलने की किसानों की शिकायतों के बाद, श्रीनगर में पहला आर्गेनिक बाजार खोलने का निर्णय लिया गया है.
खेत को ऑर्गेनिक में बदलने में लगता है 3 साल का समय - It takes 3 years to convert the farm to organic
कश्मीर कृषि निदेशक नेदअल्ताफ अंद्राबी के अनुसार तीन साल पहले यह कार्यक्रम शुरू किया गया था. किसी भी साधारण खेत को ऑर्गेनिक में बदलने के लिए तीन साल का समय लगता है और चौथे वर्ष में उस खेत को ऑर्गेनिक माना जाता है.
किसानों को मिलता है भारी लाभ–Farmers get huge benefits
आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को अब दोहरी खुशी मिली है, एक तरफ सरकार की मदद से उनके खेतों में उगने वाली सब्जियों और अनाज की लागत कम हो गई है, दूसरी तरफ बाज़ार लगने से उनको खाद्य पदार्थों की अच्छी कीमत भी मिलने लगी है जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ गई है. इस तरह की खेती में उनका खर्चा ज्यादा नही होता, ना ही रासायनिक खाद का इस्तेमाल होता है, साथ ही तैयार माल की कीमत दुगुनी मिलती है.
ऑर्गेनिक खेती के लिए उपलब्ध भूमि land available for organic farming in Kashmir
जम्मू कश्मीर में कुल 7.35 लाख हेक्टेयर भूमि पर सब्जियों की खेती होती है और इसमें से करीब 17 हज़ार 558 हेक्टेयर भूमि पर आर्गेनिक खेती होती है. जिनमें कई प्रकार के औषधीय पौधे, अनाज और सब्जियां उगाई जा रही हैं. आने वाले दिनों में केंद्र सरकार की मदद से 7444 हेक्टेयर अतिरिक्त खेती को इसी प्रकार की खेती में जोड़ा जाना है. विभाग को उम्मीद की जानी चाहिए कि इस खेती से कश्मीर के किसान लाभ कमा सकेंगे.
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