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पराली जलाने वाले किसान हो जाएं सावधान, कृषि योजनाओं के लाभ से हो सकते है वंचित !

खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है. किसान धान की फसल काटने के बाद पुराली को खेत में ही जला रहे हैं. जिस वजह से राजधानी दिल्ली की हवा भी प्रदूषण के सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. इस वक्त दिल्ली में सांस लेना 'जहर' पीने के जैसा हो चुका है. पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का असर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की सेहत पर पड़ रहा है. ऐसे में राज्य की सरकारों ने अहम कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इसी दौरान अगर बिहार के किसान भी पराली जला रहे है. तो वह ऐसा करने से पहले सावधान हो जाएँ, क्योंकि अगर उन्होने ऐसा किया, तो वह सरकार की दी गई सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकेंगे. जी हां खेतों में पराली जलाने वाले किसान को कृषि योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा, न ही अनुदान दिया जाएगा.

कंचन मौर्य
kheti
Stubble Burning

खरीफ फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है. किसान धान की फसल काटने के बाद पराली को खेत में ही जला रहे हैं. जिस वजह से राजधानी दिल्ली की हवा भी प्रदूषण के सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. इस वक्त दिल्ली में सांस लेना 'जहर'  पीने के जैसा हो चुका है. पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का असर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की सेहत पर पड़ रहा है.

ऐसे में राज्य की सरकारों ने अहम कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.   इसी दौरान अगर बिहार के किसान भी पराली जला रहे है. तो वह ऐसा करने से पहले सावधान हो जाएँ, क्योंकि अगर उन्होने ऐसा किया, तो वह सरकार की दी गई सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकेंगे. जी हां खेतों में पराली जलाने वाले किसान को कृषि योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा, न ही अनुदान दिया जाएगा.

दरअसल कृषि विभाग के सचिव डॉ एन. सरवण कुमार ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त, जिला पदाधिकारी, प्रमंडलीय संयुक्त निदेशक (शष्य) और जिला कृषि पदाधिकारी को पत्र भेजा है. आपको बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पराली जलाने से रोकने के लिए 14 अक्टूबर को आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इस संबंध में घोषणा की थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि खेतों में पराली जलाने वाले किसानों को किसी प्रकार की मदद और अनुदान नहीं दिया जाएगा. तो वहीं पराली जलाने से रोकने वाले कृषि यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा.

आपको बता दें कि कृषि विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों को सूचित किया है कि पराली जलाने वाले किसानों के पंजीकरण को तीन वर्ष तक बाधित करने का प्रावधान डीबीटी पोर्टल के माध्यम से किया गया है. साथ ही ऐसे किसान जो डीबीटी पोर्टल पर पंजीकृत नहीं है और पुराली जलाते पाये जाते हैं,  तो उन्हें भी कृषि योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा. इसके लिए प्रत्येक कृषि समन्वयक के लॉगइन में पंचायत के वैसे पंजीकृत किसान जिन्होंने पराली जलाई है,  उन्हें योजना से वंचित करने का लिंक दिया गया है.

इसके अलावा कृषि समन्वयक को जलाये गए फसल का नाम बताना होगा, साथ ही जलाये गए फसल का रकवा,  जलाने की तारीख, जलाये गए पराली का फोटो या फिर दस्तावेज, जलाये गए पराली के अगल-बगल किसानों का नाम और मोबाइल नंबर देना होगा.

इसके बाद जिला कृषि पदाधिकारी के लॉगइन में कृषि समन्वयक आवेदन भजेंगे. जिस पर जिला कृषि पदाधिकारी स्वीकृति देंगे. इस तरह डीबीटी नोडल अधिकारी किसान को 3 वर्षों के लिए वंचित की सूची में डाल दिया जाएगा और किसान को उनके मोबाइल पर एसएमएस से भेजा जाएगा कि वह सरकार की योजनाओं से वंचित कर दिया गया है. 

जानकारी के मुताबिक, पिछले दो-तीन वर्षों से पराली जलाने की घटना बढ़ गई है. जिससे राज्यों में प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. इसलिए किसानों को यह बताना जरूरी है कि पराली जलाने से स्वास्थ्य और पर्यावरण का कितना नुकसान हो रहा है.

English Summary: Farmers who burn stubble should be careful, can be deprived of the benefits of agricultural schemes Published on: 27 November 2019, 03:24 PM IST

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