कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें लागत से कहीं ज्यादा मुनाफा प्राप्त होता है. शायद यही वो वजह है की देश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि कार्य और खेती पर निर्भर है. तो वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार और केंद्र सरकार भी कृषि कार्यों को बढ़ावा देते हुए कई तरह की योजनाओं को संचालित कर किसानों का मुनाफा करवा रहे हैं.
एक ऐसा ही मामला झारखण्ड राज्य से है. जहाँ किसानों को खेती के प्रति जागरूक करने के लिए राज्य में कृषक पाठशाला शुरू किया जा रहा है. कृषक पाठशाला एवं बिरसा ग्राम विकसित करने की योजना के तहत किसानों को फसल उत्पदान और बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने कार्य शुरू किया है.
आजीविका के लिए कृषि की भूमिका महत्वपूर्ण है (The Role Of Agriculture Is Important For Livelihood)
राज्य के कृषि अधिकारीयों का कहना है कि किसानों की आजीविका का मुख्य आधार कृषि होता है. वहीँ राज्य में लगभग 75 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी हैं जो खेती-बाड़ी पर निर्भर है. इसके अलावा उससे जुड़ा पशुपालन जैसे पशुधन और मत्स्य पालन आदि भी करते है.
यह उनके दैनिक जीवन में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए इसे और बढ़ावा देने की प्राथमिकता के साथ सरकार किसानों को बेहतर खेती के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बना रही है.
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कृषक पाठशाला में बिरसा गांव के किसानों को वैज्ञानिक तकनीक से खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा. कृषक पाठशाला के माध्यम से उत्पादित माल को सप्लाई चेन, कस्टम हियरिंग सेंटर और मार्केट लिंकेज की सुविधा प्रदान की जाएगी. सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं को एक साथ लाया जाएगा.
पीएमयू का होगा गठन (PMU Will Be Formed)
कृषि निदेशालय द्वारा कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन से संबंधित एक विशेषज्ञ एजेंसी को तीन साल के लिए पैनल में रखा जाएगा. इसके साथ ही कृषि निदेशालय द्वारा तीन साल के लिए 3-4 सदस्यीय राज्य स्तरीय पीएमयू का गठन किया जाएगा. कार्य व जिम्मेदारी कार्यकारिणी एजेंसी व गठित पीएमयू को दी जाएगी. इसके माध्यम से बिरसा गांव के किसानों और मजदूरों का प्रशिक्षण और क्षमता विकास पारिश्रमिक पर लिया जाएगा और उनके द्वारा किए गए कार्यों का भुगतान किया जाएगा. किसान स्कूल को क्रम में रखने के लिए पारिश्रमिक मानदेय पर तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से एक प्रशिक्षक लेना शामिल होगा.
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