सुमिंतर इंडिया ऑर्गेनिक्स द्वारा जैविक खेती जागरूकता अभियान के तहत महाराष्ट्र के शोलापुर के टैंभूर्णी क्षेत्र के 8 गांव (शेवरे, नगोर्ली,टेंभुर्णी,रांजनी,वडोली, आलेगाव, उजनी) में लगभग 60 किसानों को जैविक गन्ना उत्पादन हेतु प्रशिक्षण दिया गया.
यह प्रशिक्षण बीते सप्ताह दिया गया, इस क्षेत्र के में गन्ना एक मुख्य फसल है और बहुतायत मात्रा में लगाया जाता है सुमिन्तर इंडिया ऑर्गेनिक्स के तरफ से कंपनी के सहायक महाप्रबंधक शोध एवं विकास संजय श्रीवास्तव ने किसानों को प्रशिक्षण दिया.
इस प्रशिक्षण में किसानों को यह बताया गया कि जैविक खेती करने से पूर्व तैयारी का बहुत ही महत्व है तथा समय पर हर कृषि कार्य किया जाना चाहिए, चाहे वह जैविक खाद का निर्माण हो दवाई हो सिंचाई हो या फसल में विभिन्न प्रकार के तरल उर्वरक का प्रयोग करना हो. साथ में सदैव एक से अधिक फसलों को लगाना चाहिए जो एक दूसरे के पूरक हों.
इसी संदर्भ में संजय श्रीवास्तव ने किसानों को बताया कि जैविक खेती का मुख्य आधार उनके पास उपलब्ध गोबर या कंपोस्टिंग मटेरियल है या आसपास के संसाधन का ही उपयोग करना चाहिए. जिसके लिए उत्तम प्रकार की जल्दी से गोबर अथवा कंपोस्ट खाद बनाने के लिए राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र गाजियाबाद द्वारा विकसित वेस्ट डी कंपोजर का प्रयोग करके अच्छी गुणवत्ता पूर्ण खाद प्राप्त कर सकते हैं.
घन जीवामृत कैसे बनाएं, जीवामृत कैसे बनाएं आदि के विषय में चर्चा किया गया. इसके अलावा, किसानों को वेस्टडी कंपोजर का कल्चर मुफ्त में वितरित किया गया. वेस्टडी कंपोजर कल्चर को किसान अपने घर ले जाकर पुनः अधिक मात्रा में वेस्टडी कंपोजर घोल बनाकर कंपोस्टिंग कर सकते हैं.
साधारणतया किसान गन्ना बोने के साथ उसमें साथ अंतरवर्ती फसल नहीं लेते, जबकि इस समय बुवाई की जाने वाले गन्ने के साथ अंतरवर्तीय फसल लेकर किसान अपने खाने के लिए अथवा बेचने के लिए जैविक उत्पादन आसानी से कर सकते हैं. गन्ने के साथ कौन-कौन सी अंतरवर्ती फसल की बुवाई की जा सकती है. इस पर विस्तार में चर्चा हुई और उनके लाभ में भी बताया गया.
अब हम बात करते हैं उत्पादन के आदान की, गन्ना उत्पादन में खाद की अहम भूमिका है, इसके लिए वेस्ट डी कंपोजर के माध्यम से अच्छा गोबर की खाद अथवा कंपोस्ट बनाना, घन जीवामृत बनाना, जीवामृत बनाना, मटका खास गाय के बच्चा देने के पश्चात प्राप्त जेर से जेर खाद बनाना, संजीवक, अमृत पानी आदि बनाना आदमी विस्तार में बताया गया.
अंतरवर्ती फसल के रूप में गन्ने में इस समय मूंग, उड़द मक्का, ज्वार, बाजरा, राजमा, चौली, लोबिया आदि फसलों को आसानी से उगा सकते हैं. रबी के मौसम में किसान गन्ने के दो लाइनों के बीच में, चना सफेद चना /डालर चना, मटर, अलसी का उत्पादन कर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.
यह सभी फसलें गन्ने के साथ किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नहीं करती हैं. अधिकांश फसलें दो दाल वाली/ दलहनी हैं, जिनसे खेत को नाइट्रोजन प्राप्त होता है. फली तोड़ने के पश्चात फसल अवशेष को मिट्टी में मिला देने से किसान को गन्ने के लिए अतिरिक्त खाद प्राप्त हो जाती है. गन्ने के मध्य में या गन्ने के साथ-साथ लहसुन, प्याज अन्य सब्जियां टमाटर, बैंगन, मिर्च आदि का भी उत्पादन कर किसान अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं.
यदि किसान गन्ने के साथ पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद का प्रयोग कर अंतरवर्तीय फसलों का उत्पादन करें, तो एक समय ऐसा आएगा कि गन्ने का उत्पादन लागत मूल्य लगभग ना के बराबर होगा जोकि किसान की एकमुश्त आमदनी का एक अच्छा साधन होगा.
सुमिन्तर इंडिया ऑर्गेनिक ने लगभग 60 किसानों को प्रशिक्षण दिया यह किसान आदर्श किसान कहे जाते हैं और इनके 1 एकड़ के खेत पर उक्त में चर्चा की गई सभी गतिविधियों का सजीव प्रदर्शन दिया किया जाएगा, जो खेत मॉडल फार्म के नाम से जाना जाता है.
इस मॉडल फार्म पर जैविक गन्ना उत्पादन की सभी विधियों का प्रदर्शन होगा जिसे देख कर दूसरे किसान सीखे और लाभान्वित हों.
प्रशिक्षण का प्रबंधन कंपनी के स्थानीय प्रबंधक नीलेश गावंडे ने किया और उनके सहयोगी विक्रम, विशाल वैभव, महेश कानेरे, महेश सुर्वे वाले हर गतिविधि का हिस्सा होते हैं और किसान से नियमित संपर्क करते हैं सब ने मिलकर प्रदर्शन मीटिंग ट्रेनिंग का प्रबंधन किया.
ट्रेनिंग में आए हुए सभी किसानों ने को संजय श्रीवास्तव ने सुमिंतर इंडिया ऑर्गेनिक्स कंपनी के तरफ से धन्यवाद दिया. उपस्थित किसानों ने आग्रह किया कि इस प्रकार का आयोजन हमारे गांव में और किया जाए, जिससे हम और लाभान्वित हो सकें.
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