बाजरा खरीफ मौसम की फसल है, जिसकी खेती भारत के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है. बाजरे का इस्तेमाल केवल खाने में ही नहीं, बल्कि पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है. ऐसे में बाजरे की खेती (Millet Cultivation) किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित होती है
जब किसान बाजरे की खेती करते हैं, लेकिन उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जैसा कि फसल को कहां बेचना चाहिए, ताकि फसल का उचित दाम मिल सके. ऐसे में हरियाणा सरकार किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाने के लिए भावान्तर भरपाई योजना (Bhavantar Bharpayee Yojana) की शुरुआत की है. इस योजना के तहत किसानों को बाजरे की फसल की भरपाई के लिए 600 रूपए की राशि प्रदान की जाएगी. मगर अब इस राशि को बढ़ाने की मांग की जा रही है. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है?
सबसे पहले बता दें कि इस बार केंद्र सरकार द्वारा बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2250 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि किसानों को बाजरे की फसल का सही मूल्य प्राप्त नहीं हो पा रहा है, क्योंकि अनाज मंडी में बाजरे की खरीद 1100 से 1200 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब की जा रही है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल से अच्छा मुनाफा नहीं मिल रहा है. इससे किसानों को भारी नुकसान का समाना भी करना पड़ रहा है.
योगेंद्र यादव ने की मांग (Yogendra Yadav Demanded)
किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हरियाणा के जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने कहा है कि भावांतर भरपाई योजना की राशि बढ़ाई जाए
योगेन्द्र यादव ने आगे लिखा है कि किसानों को बाजरे की फसल का मंडी भाव बहुत कम मिल रहा है. किसानों को भावांतर भरपाई योजना के तहत 600 रूपए मिलने बावजूद भी समर्थन मूल्य 2250 रुपए प्रति क्विंटल का भाव नहीं मिल पा रहा है. इससे किसानों को फसल से काफी नुकसान हो रहा है. इसके साथ ही किसानों को आर्थिक स्तिथि भी प्रभावित हो रही है, इसलिए बाजरे पर किसानों को दी जाने वाली भावांतर भरपाई की राशि 600 रुपए से बढ़ाकर 1000 रुपए कर दी जाए.
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