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देश में जैविक कृषि उत्पादों का बढ़ता बाजार

कोरोना महामारी के काल में हम सब के सामने विषम परिस्थितियां खडी़ हुई है, जिसमें युवाओें के लिये रोजगार सबसे बडी़ चुनौती देखने को मिल रही है. इस बेरोजगारी में सबका ध्यान कृषि क्षेत्र की तरफ आने लगा है जो लोग अपनी कृषि योग्य भूमि छोड़ कर पलायन कर चुके थे. धीरे-धीरे वापस आने लगे हैं.

KJ Staff
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organic farming
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कोरोना महामारी के काल में हम सब के सामने विषम परिस्थितियां खडी़ हुई है, जिसमें युवाओें के लिये रोजगार सबसे बडी़ चुनौती देखने को मिल रही है. इस बेरोजगारी में सबका ध्यान कृषि  क्षेत्र की तरफ आने लगा है जो लोग अपनी कृषि योग्य भूमि छोड़ कर पलायन कर चुके थे.

धीरे-धीरे वापस आने लगे हैं.

परन्तु अब गौर करने वाली यह है इस कोविड के काल में कृषि  क्षेत्र के उत्पादन की ओर युवा वर्ग का ध्यान तो जा रहा है, लेकिन सिर्फ उत्पाद विपणन की ओर, क्योंकि उन युवा लोगों ने सुना है या इन्टरनेट शिक्षा के तहत जानकारी हासिल कर ली है कि कृषि में जैविक बाजार की मांग आसमान छू रही है. इसलिए युवा वर्ग ने अपना लक्ष्य जैविक उत्पादों के विपणन में बना दिया है, कई ऐसे लोग भी इस बाजार में आ चुकें है जिनकों कृषि का ज्ञान शून्य के बराबर है. स्थानीय उत्पादों की कोई जानकारी नहीं है कृषि तकनीकि का भी ज्ञान नहीं है और ना ही उत्पादों के रचना के बारें में जानकारी रखते हैं बस विपणन की होड़ में बहे जा रहे हैं.

सिर्फ लघु अवधि मे पैसा कमाना उद्देश्य हो गया है और जैविक उत्पादों के नाम पर उपभोक्ता को लूटना. इस जैविक की लूट के दौर में ऐसे उपभोक्ता को शिकार होना पड़ रहा है जो अपने स्वास्थ के प्रति ज्यादा जागरूक हैं, क्योंकि शुद्ध एवं रसायनमुक्त उत्पादों का सेवन सभी करना चाहते हैं, लेकिन पूंजीपती लोगों तक ही जैविक उत्पादो की पहुँच हो रही है. गरीब एवं आम जनमानस के स्वास्थ के विषय में कोई नहीं सोच रहा है कि वह लोग भी रसायनमुक्त अनाज खायें उनके लिए सिर्फ राशन की दुकानों का गेंहू चावल, चना वितरण किया जा रहा है. यदि इस पर कोई कार्य करने की सोचें, तो बदलाव की सम्भवना हों पायेगी कि आम जन तक जैविक, शुद्ध एवं रसायनमुक्त अनाज उपलब्ध हो पायें.

अब जहां तक प्रश्न है कि यदि सभी लोग बाजार में विपणन को लेकर कार्य करने लगे तो कृषि  कार्य कौन करेगा. कृषि कार्य तो कोई नहीं करना चाहता, मैं किसान हूँ और किसान का बेटा कहना तो सब चाहते हैं.

कुर्सी और टेबल का सहारा लेकर विपणन सम्बन्धी बैठक करना लेवल, पैकिंग, ब्रान्डिंग की चर्चाएं सब कर रहें है, लेकिन उत्पादन कैसे बढा़या जाय यह कोई नहीं कर रहा है. मैने स्वयं बड़ी –बड़ी  सेमिनारों में सुना है कि विपणन की प्रकिया ऐसी होगी इतना मिट्रिक टन विपणन किया जायेगा, परन्तु विपणन होगा कहाँ से जब उत्पादन ही नहीं होगा अन्यथा जो युवा वर्ग सिर्फ इस प्रकार के विपणन की बात करते है कहीं उनका पुराना व्यवसाय या लगा लगाया व्यवसाय छूट ना जाये. 

लेखक - पुश्पा जोषी  - देहरादून

English Summary: growing market of organic agricultural products in the country Published on: 22 June 2021, 04:08 IST

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