बेशक, मौजूदा सरकार किसानों की उन्नति की बात करती हो. किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के दावें करती हो. उनकी आय को दोगुनी करने की बात करती हो, मगर जमीनी हकीकत इन दावों से कोसों दूर है. हकीकत तो यह है कि आज भी किसान बदहाल हैं. दुरूह भरे हालातों में अपना जीवन को जीने मजबूर है और अफसोस पूरे देश का सूध रखने वाले किसानों की सूध लेने वाला आज कोई नहीं है. बेशक, चुनावी मौसम में बेशुमार वादों के दम पर किसान मतदाताओं को रिझाने की बातें करते हो, मगर जमीनी हकीकत की एक हृदय विदारक बानगी आज हमें कर्नूल जिले में देखने को मिली है, जहां एक किसान कर्ज के तले इस कदर दब गया कि उसकी सूध लेने वाला कोई नहीं रहा, तो उसने अपने ही हाथों से अपना ही संसार उजाड़ लिया.
निराशा के सैलाब में सराबोर हो चुके इस किसान ने पहले अपनी अर्धांगिनी को अपने ही हाथों से मार डाला है, फिर अपनी उसी हाथों से जिससे उसने अपनी नन्हीं सी जान को पाल पोस कर बड़ा किया था. उसी हाथों से अपनी दोनों बेटियों को भी मार दिया और इन सबके के पीछे की वजह बना कर्ज. कर्ज न चुका पाने की स्थिति में किसान एक ऐसा कदम उठाने पर बाध्य हो गया.
मिली जानकारी के मुताबिक, उस किसान के ऊपर एक करोड़ रूपए का कर्जा था. यह उसने अपना घर बनाने के लिए लिया था. वहीं, कुछ पैसे अपनी बेटी की शादी के लिए भी जमा करके रखे थे, मगर माहमारी की इस त्रासदी की चपेट में आकर इस किसान की बदहाली और ज्यादा बढ़ गई और इसकी सूध लेने वाला कोई नहीं रह गया. यह जानकर आपको बड़ा दुख होगा कि न ही इस किसान का घर बन पाया और न ही बेटी की शादी हो पाई और ऊपर से बैंक वालों के कर्ज चुकाने की तय होती मियाद से तंग आकर आखिरकार ये अन्नदाता हमेशा-हमेशा के लिए खुदा की इस कायनात से रूखसत होने पर मजबूर हो गया.
उसकी तन्हाई में उसके साथ कोई नहीं रहा. यह हाल केरल के किसान का है, तो आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जब केरल जैसे राज्यों के किसान का ऐसा हाल है, तो उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे निर्धन राज्यों का कैसा हाल होता गया. यह अपने आप में विचारणीय प्रश्न है.
फिलहाल, पुलिस इस प्रकरण की तफ्तीश कर रही है. पुलिस के मुताबिक, किसान का मित्र जब सुबह उसके घऱ पहुंचा, तब जाकर इस पूरे मामले का खुलासा हुआ. फिलहाल, पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही है, लेकिन एक बार फिर से इस पूरे मामले ने किसानों के लिए सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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