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मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शरबती गेहूं को मिलेगा जीआई टैग, बासमती चावल का रास्ता भी साफ

मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग मिलने का मामला सुलझता हुआ दिखाई दे रहा है. दरअसल, एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट ऑथोरटी (एपीडा) ने जीआइ टैग देने को लेकर उठाई गई आपत्ति वापस लेने का निर्णय लिया है. वहीं इस मामले में अब मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर कार्रवाई करेगा. इधर, ख़बर है कि प्रदेश सरकार भी उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी विशेष अनुमति याचिका को वापस ले सकता है. जबकि एपीडा ने राज्य के प्रसिद्ध शरबती गेहूं को जीआई टैग देने के प्रस्ताव को केंद्रीय कृषि मंत्रालय को भेज दिया है. गौरतलब हैं कि कृषि उत्पादों को जीआई टैग देने का फैसला लेने वाली एजेंसी एपीडा है.

श्याम दांगी
Sharbati Wheat
Sharbati Wheat

मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग मिलने का मामला सुलझता हुआ दिखाई दे रहा है. दरअसल, एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट ऑथोरटी (एपीडा) ने जीआइ टैग देने को लेकर उठाई गई आपत्ति वापस लेने का निर्णय लिया है. वहीं इस मामले में अब मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर कार्रवाई करेगा. इधर, ख़बर है कि प्रदेश सरकार भी उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी विशेष अनुमति याचिका को वापस ले सकता है. जबकि एपीडा ने राज्य के प्रसिद्ध शरबती गेहूं को जीआई टैग देने के प्रस्ताव को केंद्रीय कृषि मंत्रालय को भेज दिया है. गौरतलब हैं कि कृषि उत्पादों को जीआई टैग देने का फैसला लेने वाली एजेंसी एपीडा है. 

अमरिंदर सिंह ने जताई थी आपत्ति

बता दें कि मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने के प्रयासों पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले साल अगस्त 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई थी. उन्होंने अपने तर्क में कहा था कि एमपी के बासमती चावल को जीआई टैग मिलने से पंजाब समेत अन्य राज्यों के हित प्रभावित होंगे. साथ ही उन्होंने पत्र में लिखा था कि इससे पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी फायदा मिल सकता है. 

सीएम ने भी लिखा था पत्र

पंजाब सीएम के प्रधानमंत्री को लिखें पत्र पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीखी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की थी. यहां तक कि उन्होंने पंजाब की कांग्रेस सरकार को किसान विरोधी करार दे दिया था. सीएम शिवराज सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य के बासमती चावल को जीआई टैग देने के पक्ष में तर्क देते हुए पत्र लिखा था. ऐतिहासिक दस्तावेजों को हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि सिंधिया स्टेट के रिकॉर्ड में दर्ज है कि मध्य प्रदेश के किसानों को साल 1944 में बीज की आपूर्ति की गई थी. 

25 साल से धान का उत्पादन

हैदराबाद स्थित भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के अनुसार मध्य प्रदेश राज्य में पिछले 25 साल से बासमती धान का उत्पादन किया जा रहा है. यहां के 14 जिलों में बड़े स्तर पर बासमती धान की खेती होती है. बता दें, कि राज्य को जीआई टैग प्राप्त नहीं होने की वजह से  यहां के चावल को बाजार में 'मध्य प्रदेश के बासमती चावल' नाम से नहीं बेचा जा सकता है. इस पर सीएम शिवराज सिंह चौहान का कहना था कि इसका फायदा उठाकर व्यापारी राज्य के बासमती किसानों से कम कीमत पर उनकी उपज खरीदते हैं.

English Summary: Famous Sharbati Wheat of Madhya Pradesh will get GI tag Published on: 08 January 2021, 09:54 AM IST

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