भारतीय शुगर मिल्स एसोसिएशन की वार्षिक जनरल मीटिंग का आयोजन नई दिल्ली में किया गया। इस आयोजन में केंद्रीय जल संसाधन एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम एसोसिएशन की अध्यक्ष टी सरिता रेड्डी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस दौरान उन्होंने चीनी के उत्पादन एवं मूल्य निर्धारण पर प्रकाश डाला। उन्होंने एफ.आर.पी के परिप्रेक्ष्य में कहा कि चीनी के मूल्य में गिरावट के दौर में अधिक एफआरपी के तहत शुगर इंडस्ट्री को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। खासकर जब आने वाले सत्र में हम अधिक गन्ना उत्पादन प्राप्त कर रहे होंगे साथ ही चीनी को निर्यात करने की भी सोच रहे हैं जो कि सरकार की सहायता के बिना करना असंभव है।
रेड्डी के मुताबिक पिछले सत्र में तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में सूखे के कारण चीनी का उत्पादन कम हुआ जिसके कारण घरेलू बाजार में चीनी कम न होने के लिए केंद्र सरकार ने दक्षिण राज्यों के लिए चीनी का भारी मात्रा में आयात करने का फैसला लिया था। लेकिन इस्मा द्वारा दिए गए सुझावों के फलस्वरूप केंद्र ने निर्यात की मात्रा कम की थी। इस बीच 2017-18 सीजन की शुरुआत में गन्ने के आशा के अनुरूप अधिक उत्पादन के फलस्वरूप चीनी के दामों में गिरावट आई है।
इस बीच संघ द्वारा मौजूदा सत्र के अंत तक 251 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। आशा की जाती है कि चीनी की खपत भी कुछ इसी आंकड़ें के आस-पास रहेंगे। जिसके फलस्वरूप मांग एवं आपूर्ति का अनुपात नियंत्रित रहेगा। साथ ही सरिता रेड्डी ने सरकार द्वारा चीनी पर जीएसटी लागू होने के बावजूद भी टैक्स पूर्व की दरों के भांति जारी रहने देने के लिए धन्यवाद दिया।
इसके अतिरिक्त मिल उद्दोग द्वारा 2015-16 के दौरान रिकार्ड 111 करोड़ लिटर एथेनॉल भी सप्लाई किया गया। हालांकि एथेनॉल के दामों में गिरावट व सूखे के कारण कम गन्ना उत्पादन के फलस्वरूप यह उत्पादन 66 करोड़ लिटर पर खिसक गया। कार्यक्रम में सीएसीपी के चैयरमैन विजय पाल शर्मा भी मौजूद रहे। भारतीय शुगर मिल एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल ने समापन के दौरान आए हुए अतिथियों, सरकारी अधिकारियों, मीडिया का धन्यावाद ज्ञापित किया।
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