
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के नए महानिदेशक के रूप में डॉ. मांगी लाल जाट की नियुक्ति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet) ने मंजूरी दे दी है. वे डॉ. हिमांशु पाठक का स्थान लेंगे, जिन्हें पिछले महीने इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) का नया महानिदेशक नियुक्त किया गया था.
डॉ. जाट वर्तमान में हैदराबाद स्थित ICRISAT में ग्लोबल रिसर्च प्रोग्राम के निदेशक के रूप में कार्यरत थे. इसके साथ ही वे डिप्टी डायरेक्टर जनरल (रिसर्च) का अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे थे. 54 वर्षीय डॉ. जाट कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में अपने व्यापक अनुभव और योगदान के लिए जाने जाते हैं. उन्हें कृषि प्रणाली, जलवायु अनुकूलन और संसाधन प्रबंधन में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है.
डॉ. मांगी लाल जाट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. वे CIMMYT (इंटरनेशनल मक्का और गेहूं सुधार केंद्र) और IRRI (इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े रहे हैं. उनकी विशेषज्ञता के प्रमुख क्षेत्र जलवायु परिवर्तन, मिट्टी का स्वास्थ्य, जल और भूमि प्रबंधन तथा डिजिटल कृषि हैं. उन्होंने न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों को मार्गदर्शन प्रदान किया है.
डॉ. जाट को उनके उत्कृष्ट शोध कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का प्रतिष्ठित ‘रफी अहमद किदवई पुरस्कार’ भी शामिल है. इसके अलावा वे ‘नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज’ (NAAS) के फेलो भी हैं.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT), भारत सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, डॉ. जाट की यह नियुक्ति तीन वर्षों की अवधि के लिए प्रभावी होगी, जो कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से लागू होगी या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो.
डॉ. जाट की यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब देश को कृषि क्षेत्र में नई चुनौतियों और अवसरों का सामना करना पड़ रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि उनके नेतृत्व में ICAR और DARE को नई दिशा मिलेगी और कृषि अनुसंधान को और मजबूती प्राप्त होगी.
डॉ. जाट की नियुक्ति से न केवल वैज्ञानिक समुदाय में उत्साह है, बल्कि इससे देश के किसानों को भी लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. उनके अनुभव और दृष्टिकोण से भारतीय कृषि क्षेत्र को नवाचार, स्थायित्व और टिकाऊ विकास की ओर प्रेरणा मिलेगी.
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