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दाल आत्मनिर्भरता मिशन: 11,440 करोड़ रुपये की नई योजना से किसानों को कैसे मिलेगा लाभ? जानें विशेषज्ञ राय

बिहार में दलहनी फसलों में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर में अखिल भारतीय समन्वित चना अनुसंधान परियोजना (SCSP) के अंतर्गत एकदिवसीय कार्यशाला और FLD इनपुट वितरण कार्यक्रम संपन्न, किसानों को मिली नई तकनीकों की जानकारी..

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दाल आत्मनिर्भरता मिशन के तहत बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) में हुआ कार्यक्रम और किसानों को मिली नई तकनीकों की जानकारी

किसानों को दलहनी फसलों में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य के साथ, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU), सबौर में अखिल भारतीय समन्वित चना अनुसंधान परियोजना (SCSP) के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण एकदिवसीय कार्यशाला एवं अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण (FLD) इनपुट वितरण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर के पौधा प्रजनन एवं अनुवांशिकी विभाग में आयोजित हुआ, जिसमें भागलपुर एवं बांका जिलों के शंभुगंज, रजौन, कहलगांव, सबौर एवं धौरेया प्रखंडों के किसानों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।

कार्यशाला का औपचारिक उद्घाटन करते हुए प्राचार्य, बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर, डॉ. मुकेश कुमार सिन्हा ने किसानों को चना उत्पादन बढ़ाने हेतु नई एवं उन्नत तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि चना उत्पादन में सुधार के साथ-साथ किसानों को मूल्य संवर्धन (Value Addition), पैकेजिंग एवं ब्रांडिंग को अपनाना चाहिए, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। उन्होंने SCSP योजना के तहत उपलब्ध तकनीकी सुविधाओं का अधिकतम लाभ उठाने हेतु किसानों को प्रेरित किया।

इस बात की जानकारी देते हुए पौधा प्रजनन एवं अनुवांशिकी विभागाध्यक्ष डॉ. पी. के. सिंह ने किसानों को हाल ही में भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘दाल आत्मनिर्भरता मिशन’ के बारे में बताया। गौरतलब है कि ₹11,440 करोड़ की बजट राशि के साथ यह योजना 2025–26 से 2030–31 तक लागू रहेगी, जिसका मुख्य उद्देश्य देश को दाल उत्पादन में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना है। डॉ. सिंह ने SC समुदाय के सामाजिक-आर्थिक उत्थान हेतु SCSP योजना के महत्व पर भी प्रकाश डाला। परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ. आनन्द कुमार ने कार्यक्रम के उद्देश्य और किसानों के चयन प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी साझा की।

वैज्ञानिकों द्वारा प्रदान किया गया तकनीकी ज्ञान

कार्यशाला के तकनीकी सत्र में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा चना की उन्नत खेती तकनीकों पर विस्तृत व्याख्यान दिए गए। इसमें बीज चयन, समय पर बुआई, बीज उपचार, मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक प्रबंधन, रोग एवं कीट प्रबंधन, कटाई, थ्रेसिंग एवं भंडारण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया था।

पादप रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिजीत घटक ने किसानों को दलहनी फसलों में लगने वाले रोगों की रोकथाम, बीज उपचार एवं सुरक्षात्मक उपायों पर जागरूक किया। इसके अतिरिक्त, दलहनी फसलों के उन्नत तकनीकी प्रबंधन पर भी सत्र आयोजित किए गए। इनमें चना एवं खेसारी पर डॉ. आनन्द कुमार, मसूर पर डॉ. अनिल कुमार, मटर पर डॉ. कनक सक्सेना और अरहर पर डॉ. पूजा यादव द्वारा विशेषज्ञ व्याख्यान दिए गए।

कार्यक्रम के समापन पर, SCSP अंतर्गत चयनित किसानों के बीच चना FLD इनपुट वितरित किए गए। वितरण सामग्री में उन्नत बीज 'सबौर चना-1, Beneficial Micro Organism (BMO) एवं आवश्यक कीटनाशक सामग्री शामिल थी।

English Summary: Dal Aatmanirbharta Mission How will farmers benefit from new Rs 11,440 crore scheme Know expert opinion Published on: 28 November 2025, 10:53 AM IST

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