
बिहार सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक नई योजना की घोषणा की है, जिसके तहत उन्हें आधुनिक कृषि यंत्रों की खरीदारी पर 4 लाख रुपये तक का अनुदान मिलेगा. इस योजना के अंतर्गत राज्य के प्रत्येक पंचायत में कस्टम हायरिंग सेन्टर (सीएचसी) स्थापित किए जाएंगे. उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इस योजना का उद्घाटन करते हुए बताया कि यह कदम राज्य के लघु और सीमांत किसानों की मदद करेगा. बिहार सरकार द्वारा कृषि रोड मैप के अंतर्गत राज्य के प्रत्येक पंचायत में कस्टम हायरिंग सेन्टर (सी॰एच॰सी॰) की स्थापना की जाएगी.
सिन्हा ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों की सुविधा प्रदान करना है, ताकि वे समय पर अपनी कृषि क्रियाएं पूरी कर सकें. इससे खेती में लागत घटेगी, श्रम की बचत होगी और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी. इस योजना से छोटे किसान जो महंगे उपकरण नहीं खरीद सकते, उन्हें इन यंत्रों का किराए पर उपयोग करने का मौका मिलेगा.
कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना
कस्टम हायरिंग सेन्टर में किसानों को ट्रैक्टर चालित और स्वचालित यंत्र जैसे जुताई, बुआई, हार्वेस्टिंग और थ्रेसिंग के लिए उपकरण किराए पर मिलेंगे. यह सेंटर स्थानीय फसल चक्र के अनुसार हर आवश्यक कृषि क्रिया के लिए उपकरण उपलब्ध कराएंगे. इस पहल से विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसान लाभान्वित होंगे, जो आधुनिक खेती से वंचित रहते थे.
अनुदान और आर्थिक सहायता
कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये की लागत निर्धारित की गई है. बिहार सरकार इस पर 40 प्रतिशत या अधिकतम 4 लाख रुपये का अनुदान दे रही है. यह अनुदान किसानों और किसान समूहों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगा, ताकि वे इस योजना का लाभ उठा सकें और आधुनिक कृषि यंत्रों का इस्तेमाल कर सकें.
योजना का लाभ लेने वाले समूह
यह योजना प्रगतिशील कृषकों, जीविका समूहों, ग्राम संगठनों, क्लस्टर फेडरेशनों, आत्मा से संबद्ध फार्मर इंटरेस्ट ग्रुप्स, नाबार्ड या राष्ट्रीयकृत बैंकों से संबद्ध किसान क्लबों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), किसान उत्पादक कंपनियों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और पैक्स द्वारा ली जा सकती है. अब तक राज्य भर में 950 कस्टम हायरिंग सेन्टर स्थापित किए जा चुके हैं, और अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 में 267 नए सेन्टर स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है
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