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देश पर मंडरा रहा जल संकट का खतरा, 60 करोड़ लोग होंगें प्रभावित

पृथ्वी का 71 फीसदी हिस्सा पानी से लबालब है. विज्ञान कहता है कि 1.6 प्रतिशत पानी जमीन के नीचे और बाकी का 0.001 प्रतिशत वाष्प और बादलों के रूप में है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला पानी नमकीन है, जिसे पिया नहीं जा सकता.

सिप्पू कुमार

पृथ्वी का 71 फीसदी हिस्सा पानी से लबालब है. विज्ञान कहता है कि 1.6 प्रतिशत पानी जमीन के नीचे और बाकी का 0.001 प्रतिशत वाष्प और बादलों के रूप में है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला पानी नमकीन है, जिसे पिया नहीं जा सकता.

सिर्फ तीन फीसदी पानी ही पीने योग्य है. लेकिन इस तीन फीसदी में से भी 2.4 फीसदी पानी ग्लेशियर के रूप में है, जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में जमा हुआ है. सरल शब्दों में समझें तो केवल 0.6 फीसदी पानी ही नदियों, झीलों और तालाबों के रूप में हमारे पास पीने योग्य है.

भारत पर जल संकट

हमारे देश का सामना बहुत जल्द अपने इतिहास के सबसे गंभीर जल संकट से होने वाला है. जिस तरह से पानी को बर्बाद किया जा रहा है, बहुत जल्दी ही देश में करीब 60 करोड़ लोगों की पहुंच से पानी दूर हो जाएगा. वर्तमान में ही करीब दो लाख लोग स्वच्छ पानी के अभाव में अपनी जान गंवा रहे हैं या बीमारियों से ग्रसित हो जा रहे हैं.

जल प्रबंधन से होगा समाधान
भारत में जल प्रबंधन का न होना एक बड़ी समस्या है. अधिकतर राज्यों में पानी का अच्छा स्रोत होने के बाद भी पानी की कमी है. सूखे की समस्या है. हालांकि इस समस्या को कुछ राज्यों ने समझा भी है और जिन राज्यों ने इस समस्या को समझा है, वो कृषि क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.

सत्य तो यही है कि देश में पानी की कमी से अधिक बड़ी समस्या पानी का नियोजन ही है. राज्यों के बीच जल विवाद है, लेकिन वो आपसी सहमति और सहयोग से इसे सुलझा सकते हैं. पानी की बचत के साथ ही बेहतर जल प्रबंधन देश को आने वाले सबसे बड़े संकट से बचा सकता है. जल प्रबंधन के बिना कृषकों की आमदनी नहीं बढ़ सकती है.

English Summary: COVID-19 outbreak More hand washing can increase Indias water demand and water scarcity Published on: 26 March 2020, 10:14 AM IST

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