केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में कृषक प्रशिक्षण शिविर समापन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि इस संस्थान में दिनांक 28 जून,2016 को फार्म मशीनरी संसाधन केंद्र की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य कृषकों को उन्न्त कृषि यंत्र उपलबध कराने के साथ-साथ उनके निर्माण, रखरखाव एवं मरम्मत के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करना है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में यह एक अनूठी पहल थी और उसका परिणाम यह है कि आज करीब 100 किसानों ने इस केन्द्र के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि आप प्राप्त ज्ञान को रोजगारोन्मुखी बना सकते हैं और अपने क्षेत्र में कृषि यंत्रों की मरम्मत एवं रखरखाव के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि यह देखा गया है कि हमारे अनुसंधान एवं विकास संगठनों द्वारा विकसित आवश्यकता पर आधारित मशीनें तथा प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियां कृषि मशीनरी निर्माताओं के साथ समन्वय की कमी के कारण किसानों तक समय पर नहीं पहुंच पाती है। अत: इन प्रौद्योगिकियों को देश के किसानों को उपलब्ध करवाने का दायित्व निर्माताओं और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों का है। वर्तमान में गतिविधियों के उचित समन्वयन हेतु अकादमिक एवं कृषि औद्योगिक क्षेत्र को संयुक्त रूप से रणनीतियां बनाने की आवश्यकता है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान में कृषि में उपयोग होने वाली कुल ऊर्जा का केवल 20 प्रतिशत ही ट्रैक्टर द्वारा उपलब्ध होता है। अभी छोटे यंत्रों जैसे – पावर टिलर आदि के उपयोग की अपार संभावना है, क्योंकि हमारे जोत छोटे-छोटे हैं। अन्य उपकरण जैसे – जीरो टिलेज, रोटा वेटर, पावर थ्रेसर, पावर विडर, प्लान्टर, स्प्रेयेर इत्यादि के उपयोग की भी अपार संभावनाएं हैं। बिहार में कृषि ऊर्जा का उपयोग लगभग 2 किलो वाट प्रति हेक्टेयर है, जबकि पंजाब में यह लगभग 4 किलो वाट प्रति हेक्टेयर है, जोकि दोगुना है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि बीज बुवाई हेतु आने वाले यंत्रों का उपयोग दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है, जिससे समय के साथ-साथ लागत में भी कमी आ रही है। किन्तु यांत्रिकीकरण की गति तेज करने के लिये भारत सरकार द्वारा बिहार को जारी योजनाओं की राशि की उपयोगिता को भी तेज करना होगा।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि 2014-15 के दौरान भारत सरकार ने 126 कस्टम हायरिंग केन्द्रों को स्थापित करने के लिए 9.01 करोड रुपये दिए हैं। पिछले वर्षों की शेष राशि खर्च न किए जाने के कारण प्रभाग इस स्थिति में नहीं है कि 2015-16 के दौरान बिहार सरकार को और अधिक निधियां दी जाएं। बिहार सरकार के पास 2014-15 के निमित्त 1.25 करोड़ रुपये की राशि अब भी बिना खर्च के पड़ी हुई है।
उन्होंने बताया कि 2016-17 के दौरान भारत सरकार ने 40 कस्टम हायरिंग केंद्रों, 2 हाईटेक केंद्रों और ग्राम स्तर पर 229 फार्म मशीनरी बैंकों को स्थापित करने के लिए 14.00 करोड़ रुपये जारी किए हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान ग्राम स्तर पर भारत सरकार ने 40 कस्टम हायरिंग केंद्रों, 2 हाईटेक हब ओर 229 फार्म मशीनरी की स्थापना के लिए 14.00 करोड़ रुपये निर्मुक्त किए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि बक्सर में कृषि उपकरणों की उपलब्धता हेतु कस्टम हाइरिंग सेंटर की स्थापना का प्रस्ताव है, जिसमें किसान भाईयों को सही मूल्य पर भाड़े पर कृषि यंत्रों की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी, जिससे छोटे किसानों को कृषि कार्यों को समय से पूरा करने में सहायता मिलेगी। इससे पैदावार के साथ-साथ मानव श्रम एवं ऊर्जा की भी बचत होगी। आने वाले दिनों में इस तरह के कई केन्द्रों का विस्तार किया जाएगा।
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