किसानों की बदहाली को उनसे अलहदा करने के लिए सरकारें हमेशा से ही बेशुमार फैसले लेती हुई आई है. कभी इन फैसलों का विरोध हुआ, कभी समर्थन. अभी एक ऐसा ही फैसला छत्तीसगढ़सरकार ने किसानों के लिए लिया है, जिससे प्रदेश के किसान दो प्रकार में बंट चुके हैं. कुछ किसान सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए नजर आ रहे हैं, तो कुछ इसका समर्थन कर रहे हैं. आखिर क्याहै प्रदेश सरकार का यह फैसला?ज़रा तफसील से जानने के लिए पढ़िए हमारी यह खास रिपोर्ट...
ऐसा है प्रदेश में खेती का हाल (Farming in the State)
जैसा कि हमने आपको बताया कि यह फैसला छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से किसानों के हित में लिया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी प्रदेश के किसान दो प्रकारमें बंट चुके हैं. बता दें कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. हमेशा से ही यहां के अधिकांश किसानों का रूझान धान की तरफ रहा है, जिसका नकारात्मक असर अन्य फसलों की खेती पर भी दिखा है. किसानों का कहना है, कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए धान की खेती हमेशा से ही अन्नदाताओं के लिए फायदे का सौदा रही है, इसलिए हमेशा से ही किसानों का रूझान इस ओर रहा है, जिसका नकारात्मक असर अन्य फसलों की खेती पर दिखा है. ऐसे में प्रदेश के खाद संतुलन को बनाए रखने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है.
...तो इसलिए लिया यह फैसला
इन्हीं सब उक्त परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हए छत्तीसगढ़ सरकार ने अब प्रदेश के किसानों के लिए खजाने का पिटारा खोलते हुए उन सभी अन्नदाताओं को 10 हजार रूपए सब्सिडी के रूप में देने का ऐलान किया है, जो धान की खेती के इतर अन्य फसलों की भी खेती करते हैं. अब तो आप समझ गए होंगे कि आखिर क्यों सरकार को यह उक्त फैसला लेना पड़ा है.
कुछ किसान उदास, तो कुछ क्यों है दुखी (Why are some Farmer Sad)
वहीं, सरकार के इस फैसले के बाद से प्रदेश के किसान दो फांड में बंटते हुए नजर आ रहे हैं. कुछ किसान सरकार के उक्त फैसले की मुखालफत करते दिख रहे हैं, तो कुछ किसान इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं, चूंकि बताया जा रहा है कि इससे प्रदेश में धान की खेती करने वाले किसान निराश होंगे. बहरहाल, अब ऐसे में आगे चलकर प्रदेश सरकार के इस फैसले का किसानों पर क्या कुछ असर पड़ता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.
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