छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के किसानों के लिए मुनगा की खेती (सहजन) को लाभकारी बनाने के लिए सरकार द्वारा नीति तैयार की गई है. क्षेत्र में मुनगा की खेती को अब व्यावसायिक बानाने की योजना पर कार्य पूरा कर लिया गया है.
मुनगा (सहजन) प्रोसेसिंग यूनिट के प्रोजेक्ट के तहत जिला उद्यान विभाग द्वारा दो करोड़ का बजट पास किया गया है. योजना के अंतर्गत 6 विकासखंडों को लाभ मिलेगा. विभाग द्वारा इस कार्य के लिए गांव-गांव में प्रचार-प्रसार किया जाएगा. साथ ही विभाग मुनगा की खेती करने का प्रशिक्षण देने के साथ उसके बीज को भी उपलब्ध कराएगा. इसकी प्रक्रिया यह होगी कि विभाग इसके पत्तियों को किसानों से उचित दामों में खरीदकर टैबले या पाउडर बनाकर इसे सप्लाई करेगा.
जानकारी के अनुसार धरमजयगढ़, घरघोड़ा, लैलूंगा, तमनार, खरसिया और जशुपर के पत्थलगांव मिलाकर 6 ब्लॉक हैं. इस प्रोजेक्ट को सभी विकासखंडों के मध्य में पड़ने के कारण घरघोड़ा में स्थापित किया जाएगा. वहीं विभाग के द्वारा इसमें महिलाओं को भी जोड़ने की योजना तैयार की गई है ताकि महिलाएं भी इसकी खेती करके लाभ ले सकें. आमतौर पर मुनगा की खेती महाराष्ट्र में ज्यादा होती है. लेकिन विभाग लॉकडाउन के बाद सभी को इसके प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद-बैंगलोर भेजने की तैयारी कर रही है.
वेयर हाउस में टैबलेट तैयार करने की प्रक्रिया (Tablet making process in warehouse)
टैबलेट बनाने की प्रक्रिया को काफी हाईजेनिक रखा गया है. सबसे पहले इसकी पत्तियों को साफ पानी से अच्छी तरह धोया जाएगा और फिर उसे धूप में सुखाया जाएगा. आगे पत्ती और डंठल को अलग किया जाएगा. जब वह आधा सूख जाएगा उसके बाद ऑटोमेटिक ड्रायर मशीन में जाने पर ग्राइंडर के माध्यम से पाउडर की तरह निकाला जाएगा, उसके बाद ही इसके टैबलेट को बनाया जाएगा.
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इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए लगभग 3 से 5 एकड़ की जमीन की जरूरत पड़ेगी. वहीं इसकी यूनिट घरघोड़ा में किसी स्थान पर बनाई जाएगी. वेयर हाउस को कुल 10 हजार स्कवायर फीट में बनाया जाएगा. इसकी अनुमानित कीमत 80 लाख रुपये तक होगी. वहीं मशीन लगने की कीमत 1 करोड़ 20 लाख रुपये होगी. इस मशीन में पत्तियों को सुखाने के लिए ड्रायर, पीसने के लिए ग्राइंडर और पेकेजिंग के लिए यूनिट लगेगी.
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