सीतापुर जनपद जो की कभी अपनी मूंगफली की खेती और उसकी मिठास के लिए जाना जाता था, इस जनपद में मूंगफली का काफी बड़ा क्षेत्रफल हुआ करता था और वह सारी सुबिधाये भी उपलब्ध थी जिससे यह खेती फलफूल रही थी जैसे यहां पर बाजार, व्यापारी, कारखाने सभी उपलब्ध थे और अब भी है पर समय के साथ-साथ मूंगफली यहाँ से खत्म होती गयी। कारण जानने के लिए कृषि विज्ञानं केन्द्र, कटिया के वैज्ञानिको द्वारा जनपद के उन इलाको का सर्वे किया गया जहाँ पर मूंगफली खूब हुआ करती थी कि क्या कारण रहा कि सारी परिस्थितियाँ अनुकूल होते हुए भी मूंगफली कि खेती बंद कर दी गयी साथ ही साथ जनपद के जिलाधिकारी कि अध्य्क्षता में मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय, जूनागढ़, गुजरात के निदेशक डॉ राधाकृष्णन टी., प्रधान वैज्ञानिक डॉ राम दत्ता, व्यापारियों और किसानों के साथ भी बैठक कि गयी।
सारी परिस्थितियों पर अध्य्यन करने के बाद केन्द्र द्वारा मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय, जूनागढ़, गुजरात के सहयोग से एक परियोजना के तहत फिर से मूंगफली कि खेती को वापस किसानों के बीच लाने का निर्णय लिया गया। इस क्रम में कृषि विज्ञानं केन्द्र ने मूंगफली अनुसन्धान निदेशालय के सहयोग से मूंगफली कि खेती को जायद और खरीफ दोनों सीजन में कराने कि परियोजना पर काम शुरू कर दिया है इस परियोजना के तहत हम जायद में चयनित कृषको के साथ २० एकर क्षेत्रफल में मूंगफली का प्रदर्शन/ बीज उत्पादन कार्य कर रहे है चूँकि यहां पर पहले जायद में मूंगफली कि खेती की नहीं जाती थी इस लिए क्षेत्रफल कम लिया गया है अच्छी बात यह है कि फसल कटने के बाद कृषि विज्ञानं केन्द्र उनकी सारी पैदावार को खरीद भी लेगा उन्हें और कही नहीं बेचना है। खरीफ में इस क्षेत्रफल को अधिकतम बढ़ाने का लक्ष्य रहेगा। परियोजना के तहत ही कल लहरपुर विकास खंड के कुल्ताजपुर और नबीनगर ग्राम में प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रक्षेत्र पर प्रथम पंक्ति प्रदर्शन का आयोजन किया गया जिसमें मूंगफली निदेशालय गुजरात से प्रधान वैज्ञानिक व हेड फसल सुरक्षा डॉ राम दत्ता ने स्वयं भाग लिया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञानं केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक व हेड डॉ आनंद सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि मूंगफली गरीबो का काजू कहा जाता है मूँगफली के दाने मे 48-50 प्रतिशत वसा और 22-28 प्रतिशत प्रोटीन तथा 30 से 40 प्रतिशत तेल पाया जाता हैं।
मूंगफली की खेती करने से भूमि की उर्वरता भी बढ़ती है। यदि किसान भाई मूंगफली की आधुनिक खेती करते है तो उससे किसान की भूमि सुधार के साथ किसान कि आर्थिक स्थिति भी सुधर जाती है। डॉ राम दत्ता ने किसानों से फसल सुरक्षा के तहत बरती जाने वाली सभी कीट- रोग बीमारियों आदि के बारे विस्तार से चर्चा करते हुए जायद में खेती की बारीकियों को भी बताया। प्रसार वैज्ञानिक शैलेन्द्र सिंह ने योजना की शर्तो और नियमो पर, डॉ आनंद सिंह पशुपालन वैज्ञानिक ने मूंगफली की खली पर, डॉ दया शंकर श्रीवास्तव ने बाजार पर, डॉ सौरभ ने मूंगफली की पौष्टिकता पर, डॉ शिशिर कान्त ने सस्य क्रियाओ पर, सचिन प्रताप तोमर ने मृदा जाँच पर कृषको को प्रशिक्षित किया कार्यक्रम का संचालन योगेंद्र प्रताप सिंह ने किया।
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