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घर बैठे किसान भाई पा रहे आलू बीज, सबसे बढ़िया किस्म के बीज उत्पादन हेतु अभियान

किसान भाइयों आप को याद को होगा प्रधानमंत्री ने सभी सांसदो से दो गांव गोद लेने की अपील की थी. जिसके अन्तर्गत प्रधानमंत्री ने गांव गोद लिए था. दरअसल, आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि इस गांव भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र- केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गोद लिए गए गाँव में किस तरह किसानों को आलू के बीज की मांग पूरी करने के लिए बीज के लिए खेती शुरु कराई है.

KJ Staff
Potato Seeds
Potato Seeds

किसान भाइयों आप को याद को होगा प्रधानमंत्री ने सभी सांसदो से दो गांव गोद लेने की अपील की थी. जिसके अन्तर्गत प्रधानमंत्री ने गांव गोद लिए था. दरअसल, आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि इस गांव भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र- केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गोद लिए गए गाँव में किस तरह किसानों को आलू के बीज की मांग पूरी करने के लिए बीज के लिए खेती शुरु कराई है. इस दौरान संस्थान ने उत्तर प्रदेश में बनारस के टकरैया गांव में किसानों को आलू बीज की खेती के लिए संस्थान द्वारा विकसित किए गए बीज उपलब्ध कराए हैं.

अभी हाल ही में खेत दिवस मनाते हुए किसानों को बीज बुवाई की तकनीकियों से अवगत कराते हुए उन्हें बीज वितरित किए गए। जिसमें आलू अनुसंधान के निदेशक व प्रमुख वैज्ञानिकों समेत भारी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया. खास बात यह रही कि महिला किसानों ने रुचि दिखाते हुए आलू की खेती के लिए जानकारी हासिल की. इस दौरान वितरित किए गए बीजों आलू के अच्छी उपज वाले जलवायु के अनुकूल किस्म के बीज शामिल हैं. यहां के किसान आलू की खेती तो काफी समय से करते आए हैं लेकिन अच्छे बीज के लिए उन्हें फर्रूखाबाद या आगरा ही जाना पड़ता था.

संस्थान ने यह कदम किसानों को दूर-दराज से आलू के बीज खरीदने के लिए जब काफी महंगाई का सामना करना पड़ा तो इस समस्या से निजात दिलाने के लिए उठाया है. साथ ही वह आलू की कुछ प्रमुख प्रजाति को किसानों तक पहुंचाने का काम भी कर रहें हैं. नवंबर 2017 में संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह कार्यक्रम शुरु किया. जिसके अन्तर्गत किसानों को आलू की चार प्रमुख प्रजातियां कुफरी ललित, कुफरी ख्याति, कुफरी हिमालिनी, कुफरी केसर के बीज वितरित किए.

शिमला संस्थान के सोशल साइंस, विभागाध्यक्ष डॉ. एन.के पाण्डेय ने बताया कि एक किसान को यदि एक से डेढ़ क्विंटल बीज दिया जाता है तो वह इससे लगभग 12-13 क्विंटल बीज उत्पन्न कर सकता है. जिससे वह अगली बार किसी दूसरे किसान की सहायता भी कर सकता है. तो वहीं तीन से चार साल में आलू की बीज पर्याप्त मात्रा में एकत्र हो सकेगा. जिससे क्षेत्र में आलू के अच्छी किस्म बीज न मिलने की समस्या दूर हो सकेगी.

इस दौरान संस्थान को समस्त किसानों की आलू के बीज उपलब्ध कराने का उद्देश्य भी पूरा हो जाएगा. इसके अतिरिक्त किसानों को सब्जी की खेती के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्हें अच्छी किस्म के बीज दिए गए.

विभूति नारायण

कृषि जागरण, नई दिल्ली

English Summary: Campaign for production of potato seeds, best variety of seeds for farmers, sitting at home Published on: 30 January 2018, 01:31 AM IST

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