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तो भाव के अंतर की राशि चुकाने की नहीं आएगी नौबत

भावांतर योजना में सोयाबीन की खरीदी करने के बाद अब सरकार प्याज को सीधे न खरीदते हुए इसी योजना में लाने की कवायद करने वाली है। इसके लिए तैयारियां चल रही है। प्याज का समर्थन मूल्य 8 रुपए किलो तय कर किसानों को दाम के बीच का अंतर दिया जाना है

भावांतर योजना में सोयाबीन की खरीदी करने के बाद अब सरकार प्याज को सीधे न खरीदते हुए इसी योजना में लाने की कवायद करने वाली है। इसके लिए तैयारियां चल रही है। प्याज का समर्थन मूल्य 8 रुपए किलो तय कर किसानों को दाम के बीच का अंतर दिया जाना है। लेकिन मौजूदा परिस्थिति देखे तो प्याज के दाम समर्थन मूल्य से पहले ही ऊपर चल रहे हैं। इस बार रकबा कम होने से उत्पादन में पिछले साल से गिरावट भी आना पक्का है। परिस्थतियों को देखते हुए सीजन के समय भी प्याज के दाम समर्थन मूल्य से ज्यादा ही रहने की संभावना है। यदि ऐसा हुआ तो सरकार को भाव के अंतर की राशि देने की नौबत नहीं आएगी।

इस बार प्याज का रकबा महज 3700 हेक्टेयर निकला है। जबकि पिछले साल अब तक सीजन में 12 हजार 40 हेक्टेयर में प्याज की बुआई की गई थी। मौसम अनुकूल रहने व भरपूर पानी की बदौलत 30 लाख क्विंटल से ज्यादा का उत्पादन हुआ था। सरकार द्वारा खरीदे गए 13 लाख 63 हजार क्विंटल प्याज में से 5 लाख क्विंटल नीलाम किया गया तो शेष प्याज का परिवहन किया था। इसके बाद प्याज का शॉर्टेज हो गया। करीब पांच से छह माह से प्याज के दाम 30 से 40 रुपए किलो तक चल रहे हैं।

जानकारी अनुसार शासन द्वारा सोयाबीन के कम दाम से किसानों को राहत देने के लिए भावांतर भुगतान योजना शुरू कर खरीदी करवाई। पंजीकृत किसानों की उपज को व्यापारियों ने खरीदी। समर्थन मूल्य व मॉडल भाव के बीच का अंतर किसानों को नियमानुसार दिया गया। इस नीति से खरीदी करने में शासन को उपज के पूरे दाम चुकाने की बजाय महज भाव के अंतर की राशि किसानों को देना पड़ी। इसी तर्ज पर प्याज की खरीदी करने की सरकार मंशा है। सरकार द्वारा 8 रुपए किलो प्याज का समर्थन मूल्य तय कर 4 रुपए तक की राशि भाव के अंतर की देने की योजना बनाई जाने की तैयारी है।

यह रहा कारण:

पिछले साल जिले में प्याज के बंपर उत्पादन के बाद दाम कम होने से इसकी सरकारी खरीदी की गई थी। करीब एक माह चली सरकारी खरीदी में 13 लाख 63 हजार क्विंटल प्याज खरीद लिया गया था। खरीदी 8 रुपए किलो की दर से की गई थी। करोडों रुपए का भुगतान किया गया। इसके बाद अन्य प्रक्रियाओं पर भी रकम खर्च हुई। इस दौरान जिले में प्याज खरीदी के बाद नीलामी कार्य अनियमिता के भी आरोप लगे लेकिन इस साल प्याज को भावांतर योजना में खरीदी करने की होने जा रही कवायद के बाद इस तरह की सभी झंझटों से मुक्ति मिल जाएगी।

इस बार इतना गिरा रकबा:

जिले में बहुतायत में उत्पादित होने वाली प्याज का रकबा इस बार लुढ़क गया है। अल्प बारिश के चलते प्याज के उत्पादन पर असर पड़ना है। सिंचाई के लिए कम पानी होने से रकबे में ज्यादा गिरावट आई है। मैदानी स्तर पर किए गए सर्वे के बाद आई रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल की अपेक्षा इस बार 70 फीसद तक रकबे में गिरावट दर्ज की गई है। ऐसे में इस बार प्याज का उत्पादन काफी कम होगा।

 

साभार

नई दुनिया

English Summary: So the difference between the price will not be repaid. Published on: 30 January 2018, 06:24 AM IST

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