कृषि क्षेत्र देश की जीडीपी में 17 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। वहीं इस क्षेत्र में 50 प्रतिशत लोगों को रोजगार भी मिलता है। पिछले दिनों कृषि के जो हालात देश में देखने को मिले हैं उनसे किसान समुदाय व इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को आने वाले बजट से बिग बूस्टर की उम्मीद है। हालांकि कई सर्वे में इस सेक्टर में विकास का अनुमान लगाया गया है लेकिन किसानों के हालात जस के तस बने हुए हैं। न उनकी आय दोगुनी होने के आसार नजर आ रहे हैं और न ही किसी अन्य योजना का लाभ वे ले पा रहे हैं। यहां तक कि उन्हें उनके उत्पादन का भी उचित मूल्य मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मानसून की मार, कम एमएसपी, ऋण का बोझ आदि ऐसे कारण हैं जिन्होंने किसानों की दोगुनी आय के सपने को धूमिल कर दिया है। 6000 रूपए की औसत मासिक आय पाने वाले किसानों ने इस बजट से बिग बूस्टर की उम्मीद जताई है अन्यथा उनकी स्थिति बद से बदतर होती जाएगी और इसी तरह से किसान विवशतापूर्ण आत्महत्या जैसा कदम उठाएंगे।
भारतीय कृषि का प्रदर्शन गिरा
वैश्विक स्तर पर भारतीय कृषि का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। जहां कृषि निर्यात गिरकर 33.87 अरब डॉलर आ गया वहीं आयात के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी हो रही है जिसके चलते यह बढ़कर 25.09 अरब डॉलर हो गया है। गौरतलब है कि निर्यात बढ़ने से घरेलू बाजार में उत्पादों के दाम स्थिर रहते हैं और इसका सीधा फायदा किसानों को मिलता है।
किसानों की मासिक आय 6426 रूपए
एनएसएसओ के 70वें राउंड के मुताबिक भारत में किसान परिवार की औसम मासिक आय 6426 रूपए है। यदि किसानों की आय की तुलना सरकारी विभाग के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी से की जाए तो उसे भी 15-20 हजार रूपए महीना आय प्राप्त होती है। वर्ष 2012-13 के मौजूद आंकड़ों के अनुसार पंजाब राज्य के किसानों की औसत मासिक आय 18059 रूपए है जो देश में सबसे अधिक है जबकि बिहार के किसानों की मासिक आय 3558 रूपए है।
आय दोगुनी के लिए 6399 अरब का निवेश जरूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने वर्ष 2022-23 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए पब्लिक व प्राइवेट दोनों ही सेक्टर्स से 6399 करोड़ रूपए के अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता है। मौजूदा हालातों में असम, केरल, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब और ओडिशा में पब्लिक इंवेस्टमेंट औसत से कम है। गौरतलब है कि खेती, सिंचाई, सड़कें, ट्रांसपोर्ट और ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा के क्षेत्र में भारी निवेश की जरूर है।
कर्ज माफी से बढ़ सकती है महंगाई
मई 2017 के आंकड़ों के अनुसार कुल कृषि लोन लगभग 12,686 अरब रूपए है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पंजाब तकरीबन 77 हजार करोड़ रूपए का लोन माफ कर चुके हैं। हालांकि रिजर्व बैंक ने पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि लोन माफ किया गया तो राज्यों की वित्तीय स्थिति में भारी बदलाव आएगा और महंगाई बढ़ सकती है।
गांवों में हो फूड प्रोसेसिंग फैक्ट्री
यदि विशेषज्ञों की मानें तो सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री से जुड़ी फैक्ट्रियां गांवों में आ जाएं। इससे किसान अपनी उपज फेंकने को विवश नहीं होंगे।
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