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भाजपा शासित असम सरकार की 600 करोड़ रुपये की आंशिक कृषि कर्ज माफी योजना की घोषणा के बाद असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने स्पष्ट किया है कि यह अस्थाई राहत है और राज्य के 4 लाख किसानों को इससे लाभ मिलेगा. दरअसल शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह सब्सिडी योजना है, कृषि कर्ज छूट योजना नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इससे करीब चार लाख किसानों को फायदा होगा और करीब 500 करोड़ रुपये की लागत इस पर आएगी.’’ गौरतलब है कि इससे पहले असम सरकार के प्रवक्ता चंद्र मोहन पटवारी ने 18 दिसंबर को कहा था कि इस योजना के अनुसार, सरकार किसानों के लोन का 25 फीसद माफ़ करेगी. हालांकि, इसकी अधिकतम सीमा 25 हजार रुपये होगी.'
उन्होंने यह भी कहा था कि, 'इस माफी में सभी तरह के कृषि कर्ज शामिल हैं. यह कृषि कर्ज माफी उन सभी कर्ज पर लागू होंगी जो किसानों ने क्रेडिट कार्ड के जरिये तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लिये हैं.' प्रवक्ता चंद्र मोहन पटवारी ने यह भी कहा था कि, 'अगले वित्तीय वर्ष में हमें इसके लिए बजट में प्रावधान करना पड़ेगा. किसानों के लिए एक ब्याज राहत योजना भी होगी, जिसके तहत किसानों को चार प्रतिशत ब्याज दर पर लोन दिया जाएगा. इससे किसानों को जीरो ब्याज पर भी लोन मिल सकेगा.
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नीति आयोग के सदस्य और कृषि मामलों के विशेषज्ञ रमेश चंद ने हाल ही में कहा है कि ‘जिन राज्यों में कृषि कर्ज़ माफ़ किया गया हैं उससे राज्यों के मात्र 10 से 15 फीसद किसानों को ही फायदा हुआ हैं क्योंकि, इन राज्यों में कुछ ही किसान संस्थागत कर्ज हासिल कर पाते हैं. कई राज्यों में 25 प्रतिशत किसान भी संस्थागत कर्ज हासिल नहीं कर पाते. उन्होंने कहा कि जब अलग-अलग राज्यों में संस्थागत कर्ज लेने वाले किसानों के अनुपात में इतना अंतर है तो कृषि कर्जमाफी पर इतनी धनराशि खर्च करना सार्थक नहीं है.
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