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दीमक का जैविक नियंत्रण: एक कारगर उपाय

अनाज वाली फसलों में दीमक का प्रकोप अधिक होता है। खड़ी फसल में सामान्यतया किसान रसायनों का उपयोग करते हैं । यह तरीका महंगा एवं खर्चीला है तथा मृदा को प्रदूषित करता है । जैव नियंत्रण कारकों विशेषकर मित्र फफूंद मेटाराइजियम एनिसोपलाई एवं ब्यूबेरियों बेसियान का संवर्धन, नीम का तेल, अरण्डी की खली का उपयोग दीमक नियंत्रण के लिए सतत् एवं स्थाई कारक हैं ।

अनाज वाली फसलों में दीमक का प्रकोप अधिक होता है। खड़ी फसल में सामान्यतया किसान रसायनों का उपयोग करते हैं । यह तरीका महंगा एवं खर्चीला है तथा मृदा को प्रदूषित करता है । जैव नियंत्रण कारकों विशेषकर मित्र फफूंद मेटाराइजियम एनिसोपलाई एवं ब्यूबेरियों बेसियान का संवर्धन, नीम का तेल, अरण्डी की खली का उपयोग दीमक नियंत्रण के लिए सतत् एवं स्थाई कारक हैं ।

मेटाराइजियम एनिसापलाई मित्र फफूंद:

प्राकृतिक रूप से भूमि में पाई जाने वाली मेटाराइजियम एक मित्र फफूंद कई प्रकार के कीटों में परजीवी की तरह प्रवेश कर उन्हें नष्ट कर देती है। यह भूमिगत कीटों विशेषकर चीटी यानी दीमक को नियंत्रित करती है।

उपयोग का तरीका:

फसलों में दीमक की रोकथाम हेतु 2.5 से 5 किलो मेटाराइजियम 100 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट या केंचुआ खाद में मिलाकर 72 घंटे संवर्धन करें जिससे माईसीलियम वृद्धि कर सके। इसे बुवाई से पूर्व या प्रथम निराई-गुड़ाई के बाद या खड़ी फसल में एक हैक्टेयर में बुरकाव कर सिंचाई करें । भूमि में मिलाने पर फफूंद के कोनिडिया कीड़ों की त्वचा पर अंकुरित होकर शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। शरीर में प्रवेश के बाद हानिकारक जहरीला पदार्थ बनाते हैं जिससे धीरे-धीरे कीट की मृत्यु हो जाती है एवं कीट वंश वृद्धि की स्थिति में नहीं रहता है। मित्र फफूंद मेटाराइजियम एक दीर्घ अवधि वक असरदार, लाभकारी, वातावरण एवं भूमि प्रदूषण रहित तथा मनुश्यों एवं पशुओं के लिए सुरक्षित है । इसे ठण्डे हवादार स्थान पर रखें। निर्माण तिथि से 120 दिन के अन्दर उपयोग करें । मित्र फफूंद के उपचार से पूर्व या बाद में रसायनों का उपयोग नहीं करें ।

ब्यूवेरिया बेसियाना मित्र फफूंद:

मेटाराइजियमक की तरह ब्यूवेरिया भी दीमक का नियंत्रण करता है। यह अनाज वाली फसलों व फलदार पौधों में उपयोग किया जाता है ।

उपयोग का तरीका:

2.5 किलो ब्यूवेरिया को 100 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट या केंचुआ खाद में मिलाकर 72 घंटे नमी की अवस्था में ढ़ंक कर रखें ताकि मासीलियम वृद्धि कर सके। तैयार संवर्धन का खड़ी फसल में भुरकाव कर सिंचाई करें। भूमि में मिलाने या छिड़काव के उपरान्त फफूंद का कोनिडियम शत्रु कीटों के शरीर की त्वचा में चिपककर अंकुरित हो जाता है। फफूंद हाईफा में से रस स्त्रावित करती है जिससे शत्रु कीटों के शरीर की त्वचा यानी हार्ड क्यूटिकल घुल कर त्वचा में प्रवेश कर कीटों की वृद्धि रोक देता है । फफूंद शरीर में ब्यूवेरिया नामक जहरीला स्त्राव बनाता है जो कीट की प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट करता है जिससे कीट मर जाता है। फलदार पौधों में 50-100 ग्राम फफूंद संवर्धन प्रति पौधे को उम्र के हिसाब से देवें।

उपलब्धता:

मेटाराइजियम एवं ब्यूवेरिया पर अनुसंधान राज्य के ग्राहृय परीक्षण केन्द्र्रों पर स्थित क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं ए. टी. सी. रामपुरा, जोधपुर, सुमेरपुर, पाली, तबीजी, अजमेर, लूणकरणसर, बीकानेर, श्रीकरणपुर, गंगानगर, छत्रपुरा, बूंदी, मलिकपुर, भरतपुर, चितौड़गढ़ तथा बांसवाड़ा में किया जा रहा है । निजी कम्पनियों तथा राज्य की आई. पी. एम. प्रयोगशालाओं में यह उपलब्ध है।

अरण्डी की खली का प्रयोग:

दीमक प्रभावित क्षेत्रों में 500 किलो अरण्डी की खली प्रति हैक्टेयर की दर अन्तिम जुताई के समय भूमि में मिलाएं । अरण्डी की खली खेत में सीधे डालने पर देर से विघटित होती है अतः खेत में डालने से आधा घंटा पूर्व पानी से गीला कर लें तथा पाउडर बनाकर खेत में डालें।

नीम का तेल:

खड़ी फसल में दीमक नियंत्रण के लिए 4 लिटर नीम का तेल प्रति हैक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ देवें या 50-60 किलो बजरी में मिलाकर बुरकाव कर सिंचाई करें ।

दीमक के प्रभावी एवं कारगर नियंत्रण के लिए मित्र फफूंद के उपयोग के अलावा वैज्ञानिक फसल चक्र अपनाएं, गर्मी की गहरी जुताई करें । दीमक की कॉलोनियों को नष्ट करें। फसल बोने से पूर्व बीजोपचार अवश्य करें। फसल में सिंचाई निश्चित अन्तराल पर करते रहें ।

 

कृषि जागरण मासिक पत्रिका

नई दिल्ली

 

English Summary: Biological control of termites: an effective solution Published on: 19 January 2018, 02:29 AM IST

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