चावल निर्यातकों ने सोमवार को दावा किया कि केंद्र सरकार ने लंबे दाने वाले बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 अमेरिकी डॉलर प्रति टन करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने चावल निर्यातकों के साथ एक वर्चुअल मीटिंग में लिया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने बासमती एमईपी को 950 अमेरिकी डॉलर प्रति टन तय करने की चावल निर्यातकों की मांग को स्वीकार कर लिया है. सेतिया ने कहा कि चावल निर्यातकों और व्यापारियों ने इस कदम का स्वागत किया है और किसानों और निर्यातकों के हित में निर्णय लेने के लिए केंद्रीय मंत्री को धन्यवाद दिया है.
सरकार के इस निर्णय से न केवल बासमती उत्पादकों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह चावल निर्यातकों को उस नुकसान से भी बचाएगा जिसका वे अनुमान लगा रहे थे क्योंकि 1,200 अमेरिकी डॉलर पर चावल खरीदने के लिए कोई खरीदार नहीं थे.
बासमती चावल निर्यात के लिए एमईपी
मालूम हो कि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद, केंद्र सरकार ने 25 अगस्त को बासमती चावल निर्यात के लिए 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यापारी बासमती चावल के नाम पर गैर-बासमती चावल का निर्यात नहीं कर सकें.
अगले आदेश तक जारी रह सकता है एमईपी!
वहीं, 14 अक्टूबर को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी एक पत्र में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकारी के निर्णय के अनुसार, बासमती चावल के लिए पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाण पत्र के लिए 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के एमईपी की वर्तमान व्यवस्था है. 15 अक्टूबर से आगे अगले आदेश तक जारी रह सकता है.
हालांकि, इस फैसले पर चावल निर्यातकों और चावल मिलर्स एसोसिएशन की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई, क्योंकि उन्होंने इस फैसले की निंदा की और सभी बासमती किस्मों की खरीद का बहिष्कार करने का फैसला किया. सरकार के आश्वासन के बाद, उन्होंने हड़ताल समाप्त कर दी थी और 19 अक्टूबर को खरीद फिर से शुरू कर दी गई थी.
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बासमती की कीमतों में हो सकती है बढ़ोतरी
बासमती चावल की नई फसल की कटाई के साथ, यह निर्णय बासमती उत्पादकों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है क्योंकि इस फैसले से मंडियों में बासमती की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.
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