इसमें कोई दो राय नहीं है कि केले की खेती करने वाले किसानों के लिए टिश्यू कल्चर (Tissue culture farming) से खेती करना बहुत लाभकारी रहा है लेकिन इसमें बागवानों और केला किसानों को सावधानी रखने की बहुत जरूरत है. देश के कई राज्यों में केले के टिश्यू कल्चर पौधों से किसान और बागवान खेती कर बहुत अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं अब इस टिश्यू कल्चर पद्धत्ति से केले की खेती में बागवानों द्वारा भारी नुकसान उठाने की खबर सामने आ रही है.
आपको बता दें कि लखनऊ स्थित रहमानखेड़ा के केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture) के निदेशक शैलेंद्र राजन (Shailendra Rajan) के मुताबिक कई जगह केले के टिश्यू कल्चर पौधे पनामा विल्ट रोग, जिसे फ़्युज़ेरियम विल्ट भी कहा जाता है, को फैला रहे हैं.
इस नई पद्धति के आने से पहले हज़ारों हेक्टेयर में केले के पुत्तिओं द्वारा नए बाग तैयार करना बागवानों के लिए आसान न था. ऐसे में टिश्यू कल्चर ने बागवानों को एक नई राह दी और केले की आधुनिक खेती (advanced banana cultivation) को एक नई पहचान भी दी. यही वजह है कि किसान और बागवानों ने केले की खेती बड़े पैमाने पर शुरू की. वहीं अब केले की पनामा विल्ट बीमारी अब पौधों की महामारी बनकर बागवानों के लिए मुसीबत का सबब बन रही है. चौकाने वाली बात तो यह है कि यह बीमारी उन जगहों पर भी फैल रही है जहां केले की खेती के दौरान बागों में इस बीमारी का खतरा नहीं रहता था.
उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों को करोड़ों का नुकसान (Crores of money lost to farmers of Uttar Pradesh and Bihar)
केले की खेती करने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के किसानों को केले की खेती में इस रोग की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ा है. इन राज्यों में हर साल करोड़ों टिश्यू कल्चर पौधों की मदद से खेती की जाती है. बड़े पैमाने पर केले की खेती करने वाले इन किसानों के करोड़ों रुपए बर्बाद हो चुके हैं. आपको बता दें कि कई जगह तो सिंचाई के दौरान ही इस रोग के जीवाणु पौधों के सम्पर्क में आये. पानी के साथ ही जीवाणु एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैल गए. दिलचस्प बात यह है कि काफी समय बाद किसानों को केले के पौधों की इस बीमारी के के बारे में पता चला. विशेषज्ञों के मुताबिक पनामा विल्ट बीमारी फैलने की संभावना टिशु कल्चर पौधे से बढ़ गई है. ऐसे बागवानों की जरा सी चूक उन्हें भारी पड़ सकती है.
टिश्यू कल्चर हार्डेनिंग नर्सरी के पौधों से भी फैली बीमारी (Disease spread by tissue culture hardening nursery plants)
आपको बता दें कि प्रयोगशाला में टिश्यू कल्चर से तैयार किए गए पौधे तो रोगरहित होते हैं लेकिन हार्डेनिंग नर्सरी में इस बीमारी से पौधों के संक्रमित होने की संभावना ज्यादा रहती है. इस संबंध में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) के वैज्ञानिकों का कहना है कि यूपी और बिहार में यह बीमारी रोगग्रस्त क्षेत्रों में स्थापित टिश्यू कल्चर हार्डेनिंग नर्सरी के पौधों की वजह से भी फैली है.
वहीं इस विषय में कई किसानों का यह भी कहना रहा है कि उन्हें केले की खेती करने के लिए रोगग्रस्त क्षेत्रों से पौधे उपलब्ध कराए गए हैं, जहां की केले की खेती पर इस बीमारी का प्रकोप है.
टिश्यू कल्चर पौधों के लिए प्रतिरक्षा बूस्टर तकनीक की तैयारी में ICAR (ICAR in preparation of immunity booster technology for tissue culture plants)
भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र परिषद के वैज्ञानिक टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों के लिए प्रतिरक्षा बूस्टर तकनीक के विकास की तैयारी में जुटे हुए हैं. बताया जा रहा है कि इस तकनीक की मदद से टिश्यू कल्चर पौधों में पनामा विल्ट बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित कराई जाएगी.
लखनऊ के आईसीएआर-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान और आईसीएआर- केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग रोगग्रस्त क्षेत्रों के खेतों में करेंगे.
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