पंजाब सरकार ने कथित तौर पर फाजिल्का और पंजाब के अन्य ज़िलों में ग्रीष्मकालीन मूंग की फ़सल नहीं ख़रीदने का फ़ैसला किया है क्योंकि रिपोर्टों के अनुसार पंजाब में पिछले साल बाज़ार में पहुंचने वाले मूंग का लगभग 80 प्रतिशत से अधिक एमएसपी से नीचे ख़रीदा गया था.
सरकार ने पंजाब के कपास बेल्ट ज़िलों में किसानों से मूंग की बुवाई न करने का अनुरोध किया है. सरकार का कहना है कि मूंग की खेती से सफ़ेद मक्खी का हमला हो रहा है, जिससे खड़ी कपास फ़सलों नुकसान होता है. स्वर्ण सिंह, मुख्य कृषि अधिकारी (सीएओ) ने कहा कि सफ़ेद मक्खी के हमले अंततः लीफ कर्ल रोग का कारण बन रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप कपास की उपज कम हो रही है.
पंजाब के कृषि और किसान कल्याण विभाग के निदेशक ने मुक्तसर, फाजिल्का, फरीदकोट, मोगा, बरनाला, संगरूर, मनसा और भटिंडा के मुख्य कृषि अधिकारियों को एक पत्र लिखते हुए कहा है कि, किसानों को सफ़ेद मक्खी के आक्रमण के कारण मूंग की बुवाई से रोकने के लिए शिविर लगाने चाहिए. साथ ही, उन्होंने नकदी फ़सल कपास की ओर रुख़ करने को कहा, जो मालवा बेल्ट की प्रमुख फसल है.
इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पंजाब के फाजिल्का ज़िले में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मूंग की फ़सल नहीं खरीदेगी. सूत्रों का यह भी कहना है कि सरकार बठिंडा, मनसा और मुक्तसर जैसे अन्य प्रमुख कपास बेल्ट ज़िलों में मूंग की फ़सलों पर एमएसपी प्रदान नहीं करेगी.
सूत्रों के अनुसार फाजिल्का ज़िले में पिछले साल क़रीब 500 एकड़ में मूंग की खेती हुई थी.
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राज्य भर से, 4.05 लाख क्विंटल मूंग सूबे के बाज़ारों में पहुंचा और इसमें से 3.56 लाख क्विंटल की भारी मात्रा निजी व्यापारियों ने एमएसपी से नीचे ख़रीदा और राज्य सरकार द्वारा लगभग 48,000 क्विंटल ही खरीदा गया.
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