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MP Crop Advisory: मौसम विभाग की सलाह, किसान इस मौसम में अपनी फसल व पशुओं का ऐसे रखें ध्यान

मौसम को ध्यान में रखते हुए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने मध्य प्रदेश के किसानों के लिए जरुरी सलाह देते हुए बताया है, कि आने वाले वाले दिनों में अपनी फसल व पशुओं का कैसे रखना है ध्यान...

निशा थापा
madhya pradesh crop advisory
madhya pradesh crop advisory

मध्य प्रदेश के किसानों को सलाह दी जाती है कि कम अंकुरण वाले स्थानों पर कम अवधि की फसलों जैसे लोबिया, तिल, ग्वार, बीन्स और रामतिल आदि की बुवाई कर सकते हैं. बारानी फसल खेती में अरहर और अरंडी की फसल ली जा सकती है. मौसम खुला रहते ही खरीफ फसलों पर नाइट्रोजन उर्वरकों की टॉप ड्रेसिंग करें. वर्तमान और आने वाले दिनों में वर्षा की स्थिति को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि जहां दलहन, तिलहन और सब्जियां लगाई गई हैं, वहां उचित जल निकासी की व्यवस्था करें.

मक्का

मक्के की फसल के कम वर्षा वाले क्षेत्र में आर्मी वर्म कीट गिरने की संभावना है इसलिए उस क्षेत्र में नियमित निगरानी रखें. यदि खेत में फॉल आर्मी वर्म दिखे तो इस बात का ध्यान रखें.

  • आरा की धूल, राख या महीन रेत को कोड़ों में लगाएं.

  • 50000 प्रति एकड़ की दर से ट्राइकोग्रामा प्रीटियोसम या टेलिनॉम्स रेमस छोड़ें.

  • 5% NSKE या azadirachtin 1500ppm @ 5ml/लीटर पानी का छिड़काव करें.

  • जैविक नियंत्रण के लिए प्रारंभिक अवस्था में फसल की रक्षा के लिए ब्यूवेरिया बेसियाना या एनपीवी का छिड़काव करें.

  • स्पिनोसैड 45 एससी 3 मिली या एमेमेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी @ 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें ताकि फसल को शुरुआती अवस्था में ही बचाया जा सके.

  • क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 5 एससी 0.3 मिली या इंडोक्साकारब 14.5 एससी एमएल या थियामेथोक्सम + लैम्ब्डा सिहलोथ्रिन 0.5 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.

सोयाबीन

  • किसानों को सलाह दी जाती है कि यदि फूल आने लगे तो अब किसी भी प्रकार के शाकनाशी का छिड़काव ना करें.

  • कुछ क्षेत्रों में पीले मोज़ेक वायरस (वाईएमवी) संक्रमण की सूचना मिली है. वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे प्रभावित पौधे को संक्रमण के शुरुआती चरण में ही उखाड़ दें. किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि वाहक कीट सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए प्रारंभिक चरण में बीटा साईफ्लूथरिन इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) या थियामेथोक्सम + लैम्ब्डा सिहलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) जैसे पूर्व-मिश्रित कीटनाशकों का छिड़काव करें.

  • सोयाबीन बीज की शुद्धता बनाए रखने के लिए, किसानों को बीज उत्पादन कार्यक्रम में अन्य किस्मों के पौधों को खुरदरा करने की सलाह दी जाती है.

  • यदि सोयाबीन के खेतों में करधनी भृंग का हमला देखा गया है, तो किसानों को सलाह दी जाती है कि वे थियाक्लोप्रिड (7% w/w) @ 650ml/ha का छिड़काव करें.

कपास

  • कपास के खेतों में चूसने वाले कीट का संक्रमण देखा गया है. इसलिए, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिली/लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड + एसेफेट 1 ग्राम/लीटर पानी या वर्टिसिलियम लैकन 5 ग्राम/लीटर पानी का स्प्रे करें.

गन्ना

  • गन्ने की फसल में लाल सड़न के कीट को नियंत्रित करने के लिए कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें. गन्ने में रुकने से बचने के लिए हरी पत्तियों की सहायता से एक दूसरे को तीन या चार बेंत बांधें.

  • गन्ने की फसल में आवश्यकता आधारित अंतर-सांस्कृतिक संचालन और अर्थिंग की जानी चाहिए. पायरिला कीटों के प्रकोप को कम करने के लिए गन्ने के खेतों में उचित जल निकासी व्यवस्था को बनाए रखा जाना चाहिए.

  • यदि खरपतवार की समस्या हो तो ग्लाइफोसेट 40sl @ 80 मिली/15 लीटर पानी का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है. यदि तेज हवा चलती है तो स्प्रे न करें.

बागवानी फसलें

  • हानिकारक कीट और रोगों के लिए खीरा सब्जियों की निगरानी और लताओं के प्रशिक्षण/चढ़ाई की व्यवस्था करना ताकि खराब/सड़ने से बचा जा सके.

  • बरसात के मौसम में फूलों के पौधे खेत में लगाना चाहिए.

  • बरसात के मौसम में सब्जी की फसल को खेत में रोपाई करनी चाहिए.

  • खरीफ सब्जियों की बुवाई के लिए मौसम अनुकूल है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करें.

  • बागवानी फसलों जैसे पपीता, आम, अमरूद आदि के रोपण के लिए वर्तमान मौसम की स्थिति अनुकूल है. किसानों को जल्द से जल्द रोपण के लिए सलाह दी जाती है.

  • फलों के पौधे के नए पौधों को अनुशंसित ज्यामिति, उर्वरक और खाद के साथ गड्ढे में प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए.

पशुपालन

  • मवेशियों को छाया में रखना चाहिए और दिन में दो बार स्वच्छ और ताजा पानी उपलब्ध कराना चाहिए.

  • जहां तक ​​संभव हो मवेशियों के शेड को सूखा रखना चाहिए

  • दुग्ध उत्पादन को बनाए रखने और बीमारी से बचाव के लिए पशुशाला को मक्खियों और मच्छरों से अच्छी तरह से संरक्षित किया जाना चाहिए.

  • किसानों को डेयरी पशुओं के बछड़ों को कृमि मुक्त करने की सलाह दी जाती है.

  • मच्छरों और अन्य कीड़ों से बचाव के लिए पशुशाला में धुआं पैदा करें.

English Summary: Advice of Meteorological Department, farmers of Madhya Pradesh should take care of their crops and animals in this way this season Published on: 22 August 2022, 05:25 PM IST

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