बिहार के भागलपुर में एक किसान श्री वेदव्यास ने खुद जैविक खेती करने के साथ साथ और लोगो को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित किया। किसान वेदव्यास का कहना है की जैविक खाद का उपयोग करने से जल और वायु प्रदूषित नहीं होते। वेदव्यास ने बताया की उन्होंने जो जीवामृत और मटका विधि से तैयार करके जो जैविक खाद बनाई है वह टिकाऊ होती है और उत्पाद भी गुणवत्तापूर्ण होते हैं। यह किसानों के लिए वरदान की तरह है।
खाद बनाने की प्रक्रिया
वेदव्यास ने जो खाद बनाई उसका नाम जीवामृत है और साथ ही वेदव्यास ने बताया की उन्होंने यह खाद बनाई कैसे है। 10 लीटर गोमूत्र, दो किलो गुड़ एवं आधा किलो बेसन का मिश्रण बनाकर उसे 10 दिनों तक सड़ाया जाता है। बीच-बीच में इसे मिलाना भी पड़ता है। फिर तैयार हो जाता है जैविक खाद। इसका उपयोग पौधों की जड़ों में सीधे डालकर या फिर सिंचाई के दौरान पानी में मिलाकर किया जाता है।उन्होंने स्वस्थ्य धरा और खेत हरा बनाए रखने के लिए पौधों एवं मिट्टी के लिए यह खाद बनाई है। जो गुणवत्तापूर्ण उत्पाद के लिए टॉनिक का काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि जीवामृत को 200 लीटर पानी में मिलाकर उसे एक एकड़ में प्रयोग करें। इसके अतिरिक्त मटका विधि से तैयार जैविक खाद पौधों और मिट्टी की स्वस्थ्य संरचना के लिए रामबाण साबित हो रहा है।
जैविक खाद बनाने के कारण
वेदव्यास ने बताया की उन्होंने रसायनयुक्त खेती से भूमि और पानी लगातार प्रदूषित हो रही है। प्रकृति की अनुपम उपहार पानी और मिट्टी का दोहन कर लोग ज्यादा उत्पादन लेने की होड़ में हैं। जिसका दुष्परिणाम है कि धीरे-धीरे उत्पादन घट रहा है। अधिक से अधिक रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशानी दवाओं के उपयोग से मिट्टी की संरचना बिगड़ती जा रही है। उत्पाद भी जहरीली होती जा रही है। इसकेउपभोग से प्राणी लाइलाज बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। अगर अब भी हम सजग नहीं हुए और जैविक खेती की ओर नहीं मुड़े तो और भी अधिक गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
वेदव्यास की कोशिश का प्रभाव
बिहार सरकार कृषि विभाग एवं दैनिक जागरण के संयुक्त प्रयास से लगाए गए मेले में स्टॉल पर रखे गए जैविक खाद और कीटनाशी की जिला कृषि विभाग के अधिकारियों ने खूब प्रशंसा की थी। दैनिक जागरण ने भी उनके द्वारा तैयार खाद और कीटनाशी को सराहा था। और साथ ही वेदव्यास की इस कोशिश से डेढ़ लाख किसान जैविक खेती के लिए जागरूक हुए है.
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