छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए मौसम विभाग ने वर्तमान मौसम को देखते हुए एग्रोमेट एडवाइजरी यानी कृषि विशेष सलाह जारी की है. इस लेख में हम आपको राज्य के उत्तरीय पहाड़ी भाग (Northern Hills Zone) के किसानों के लिए वर्तमान मौसम के मद्देनजर अपनी फसलों और पशुओं की रक्षा कैसे करनी है इसकी जानकारी लेकर आए हैं. राज्य के उत्तरीय पहाड़ी भाग के अंतर्गत सरगुजा, कोरिया, जशपुर, बलरामपुर व सूरजपुर जगहें शामिल हैं. ऐसे में यहां के किसान इस खबर को विशेष रूप से पढ़ लें.
किसानों के लिये सामान्य सुझाव
कटाई उपरांत खेत की गहरी जुताई करें तथा पाटा न चलाये.
खेत को खुला छोड़ दें जिससे कीट, रोग व खरपतवार के अंश तेज प्रकाश से नष्ट हो जाएं.
भंडारण हेतु दलहनी फसलों के बीजों में 8-10% नमी हो तब तक बीजों को अच्छी तरह सुखाएं.
अनाज किसानों के लिए जरूरी सलाह
गेहूं
परिपक्व गेहूं फसल की कटाई में समय एवं उर्जा की बचत हेतु ट्रेक्टर चालित रीपर या कम्बाइन हार्वेस्टर का उपयोग करें.
ग्रीष्मकालिन धान
किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि ग्रीष्मकालीन धान की फसल में तना छेदक के प्रकोप से फसल को बचाने हेतु प्रारंभिक नियंत्रण के लिए प्रकाश प्रपंच अथवा फिरोमेन ट्रेप का उपयोग करें. रासायनिक कीट नियन्त्रण के लिए रायनेक्सीपार 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर या फिपरोनिल @ 5 एस.सी. 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें.
गन्ना फसल
जिन खेतों में गन्ने की फसल घुटने की ऊंचाई तक आ गई हो उन खेतों में निराई-गुड़ाई करने के उपरांत नत्रजन की शेष मात्रा का आधा हिस्सा डाल कर मिट्टी चढ़ाने के बाद सिंचाई करें.
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सब्जियों/फल के किसानों के लिए जरूरी जानकारी
किसानों को खेतों से प्याज और लहसुन के कंद निकालने की सलाह दी जाती है.
ग्रीष्म कालीन साग-सब्जी फसलों में सिंचाई व्यवस्था ठीक से करें तथा तापमान कीट फैलने के लिए अनुकूल हैं उसको ध्यान में रखते हुए भिंडी, बैंगन जैसी फसलों में रोज कीटों की निगरानी करें.
बुवाई की गई फसले जैसे भिंडी, ग्वारफली, बरबटी, इत्यादि में गुड़ाई कर सिंचाई करें.
बेल वाली फसलों की मचान सहारे को ठीक करें तथा कुंदरू एवं परवल में उर्वरक दें.
बेर की किस्म के उन्नयन के लिए मातृवृक्ष में कलिका की तैयारी करें.
केला एवं पपीता के पौध में सप्ताह में एक बार पानी अवश्य दें तथा टपक सिंचाई में सिंचाई समय बढ़ायें.
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पशुपालकों के लिए विशेष सलाह
पशुबाड़े में हमेशा साफ एवं ठंडा पानी उपलब्ध रखें. यदि बाड़े के बाहर पानी का बर्तन रखते हों तो छायादार जगह पर रखें.
पशुशाला एवं मुर्गीघर में हवा के आवागमन हेतु व्यवस्था करें.
गेहूं चना एवं तिवडा, भूसा को पानी से बचाएं एवं पशुओं को खिलाने हेतु सुरक्षित स्थान में भंडारण करें.
तापमान में बढ़ोतरी के साथ-साथ मच्छरों एवं मक्खियों का प्रकोप बढ़ रहा है. उनसे बचाव हेतु पशुबाड़े में व्यवस्था करें.
दुधारू पशुओं को ग्रीष्मकाल में चारा उपलब्ध कराने हेतु ज्वार (चारा) की बुआई करें.
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