
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में भाग लिया. इस अवसर पर उन्होंने विक्रमशिला छात्रावास और आर्यावर्त अंतरराष्ट्रीय अतिथि गृह का उद्घाटन किया. साथ ही, उन्होंने दो महत्वपूर्ण पुस्तकों – पूसा बिहार: दी बर्थप्लेस ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड एजुकेशन और टेक्स्टबुक ऑन नेचुरल फॉर्मिंग का विमोचन किया.
इस अवसर पर अपने संबोधन में चौहान ने बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की सराहना की. उन्होंने कहा, “मिथिलांचल का प्रवेश द्वार समस्तीपुर है. मिथिलांचल, यह राजा जनक और माता सीता की पावन भूमि है, जो भारतीय नारियों का आदर्श हैं." उन्होंने भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद और कर्पूरी ठाकुर को इस अवसर पर याद करते हुए उनके प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि बिहार की धरती प्रतिभा और मेहनत का केंद्र है, जिसने विश्व को बुद्ध का संदेश दिया है.
चौहान ने दीक्षा प्राप्त छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “आप अनंत शक्तियों के भंडार हैं, जैसा स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था. मेहनत करें, बड़े लक्ष्य निर्धारित करें और अपने ज्ञान का उपयोग कृषि क्षेत्र में करें. पूसा विश्वविद्यालय से प्राप्त शिक्षा के साथ आप भारत की कृषि को नई ऊँचाइयों तक ले जाएँ.” उन्होंने पिछले 11 वर्षों में कृषि क्षेत्र में 40% उत्पादन वृद्धि, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज और 50 हजार करोड़ रुपये के बासमती चावल निर्यात जैसे उपलब्धियों का उल्लेख किया. बिहार में मक्का, लीची और मखाना के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की सराहना करते हुए उन्होंने मखाना बोर्ड के गठन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया.
कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए उन्होंने कहा, “किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा हैं और उनकी सेवा हमारा धर्म है. हमें प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने, छोटी मशीनों के माध्यम से खेती में मशीनीकरण लाने और स्टार्टअप के जरिए आधुनिकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.” चौहान ने प्राकृतिक खेती की महत्ता पर जोड़ देते हुए कहा कि यह धरती की सेहत के लिए जरूरी है. उन्होंने हाल ही में घोषित प्रधानमंत्री धन धान्य योजना का उल्लेख किया, जिसके तहत 100 जिलों में कृषि उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान और अनुसंधान को व्यावहारिक उपयोग में लाएँ और भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में योगदान दें.
अंत में, उन्होंने विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना की और कहा, “डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय भारत की कृषि को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. मैं नए विचारों को सुनने के लिए हमेशा उत्सुक हूँ.” उन्होंने सभी गुरुजनों, छात्रों और विश्वविद्यालय परिवार को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई दी. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा का गठन 7 अक्टूबर 2016 को हुआ, जब बिहार सरकार द्वारा 1970 में स्थापित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, एक राज्य कृषि विश्वविद्यालय, को केंद्रीय विश्वविद्यालय में परिवर्तित किया गया. यह आज कृषि क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने वाली श्रेष्ठ संस्थानों में से एक है.
इस दीक्षांत समारोह में रामनाथ ठाकुर, कृषि राज्य मंत्री, भारत सरकार; विजय सिन्हा, उपमुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री, बिहार सरकार; महेश्वर हजारी, सूचना जनसंपर्क मंत्री, बिहार सरकार; समस्तीपुर सांसद शाम्भवी भी उपस्थित रहे.
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