देश-विदेश के लिए जलवायु परिवर्तन एक अहम चर्चा का विषय है. यही कारण है कि समय-समय पर देश-दुनिया के विशेषज्ञ और जन प्रतिनिधि इस मुद्दे को लेकर बैठक करते रहते हैं और तरह-तरह के कानून बनाते रहते हैं. यही कारण है कि भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को अपने खेत में पराली न जलाने का आदेश दे दिया है. अब पराली न जलाने के मुद्दे को लेकर हरियाणा के जींद जिले से एक चौकाने वाली खबर समाने आई है. जिले में कुछ दिन पहले पराली न जलाने को लेकर कृषि विभाग द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा था. इस जागरुकता अभियान को लेकर कृषि विभाग ने 40 लाख रुपए खर्च कर दिए.
बता दें कि विभाग द्वारा जागरुकता अभियान पर इतने रुपए खर्च करने के बाद भी प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी आई होतो, वह न के बराबर है. अब भी जींद जिला दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 17वें स्थान पर है. एक RTI से पता चलता है कि ये 40 लाख रुपए कृषि विभाग द्वारा हर गांव में 2 बार की मीटिंग में टेंट, प्रत्येक किसान को एक समोसा, 2 लड्डू और 2 गुलाब जामुन खिलाने पर खर्च किए गए हैं. एक किसान को एक समोसा, 2 लड्डू और 2 गुलाब जामुन खिलाने का खर्च 120 रुपए दिखाया गया है.
RTI में खुलासा, फर्जी बने थे बिल
RTI एक्टिविस्ट ने मामले की शिकायत करते हुए गृहमंत्री को बताया कि एक ही दुकान से एक नाम पर दो -दो बिल कटे हैं. लेकिन जिस दुकान ने बिल काटे हैं वह वहां है ही नहीं. ऐसा ही कार्यकम जुलना में हुआ और टेंट 40 किलोमीटर दूर जींद से लाया गया. जिससे साफ प्रतीत होता है दाल में काला है. वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग का कहना है की ये सब आरोप निराधार हैं.
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