किसानों के लिए केंद्र सरकार ने कई अहम योजनाएं संचालित कर रखी हैं, जिससे किसानों को दोगुना लाभ पहुंचा है, साथ ही कृषि क्षेत्र की दिशा और दशा भी बदली है. ऐसी ही एक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Prime Minister Crop Insurance Scheme) है, जिसके तहत किसानों को खरीफ और रबी की फसलों का प्रीमियम भुगतान देना पड़ता है. बता दें कि अब पीएम फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत खरीफ फसलों पर एक नया नियम लागू होगा.
दरअसल, केंद्र सरकार (Central government) ने राज्यों को दी जाने वाले सब्सिडी (Subsidy) को सीमित कर दिया है. अब इसका पूरा बोझ राज्य की सरकारों (Central government) पर पड़ सकता है. जानकारी मिली है कि आगामी खरीफ़ सीज़न (Kharif Season) के लिए इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा बीमा रकम (Insurance money) का प्रीमियम 40 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इससे पहले पानी की कमी और सूखे क्षेत्रों में प्रीमियम की रकम 75 प्रतिशत तक की थी.
योजना लागू करने का फैसला राज्य सरकार पर
केंद्र सरकार ने पीएम फसल बीमा योजना के तहत खरीफ सीज़न 2020 (Kharif Season 2020) के लिए अपनी सब्सिडी को सीमित कर दिया है. बता दें कि अब गैर-सिंचाई वाले क्षेत्रों में ग्रॉस प्रीमियम (Gross premium) 30 प्रतिशत रहेगा. अगर अब कोई बीमा कंपनी 30 प्रतिशत से ज्यादा प्रीमियम मांगती है, तो यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह इस योजना को लागू करेगी या नहीं.
किसानों को किताना प्रीमियम देना होता है
इस योजना को केंद्र सरकार ने साल 2016 में संचालित किया था. इसके तहत किसानों को रबी फसलों (Rabi crops) के लिए 1.5 प्रतिशत प्रीमियम, खरीफ़ फसलों (Kharif crops) के लिए 2 प्रतिशत और नकदी फसलें (Cash crops) के लिए 5 प्रतिशत प्रीमियम देना होता है. इसके अलावा बाकी के प्रीमियम का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार करती हैं. जरूरी है कि इंश्योरेंस कंपनी को उन 151 जिलों में अधिक प्रीमियम मिल पाए, जहां पानी की कमी होती है.
क्यों नीतियों में बदलाव हुआ
बीमा कंपनियों का मानना है कि सरकार पानी की उपलब्धता के आधार पर फसलों को डाइवर्सिफाई कर रही है. इस योजना को लागू करने के बाद कुछ राज्यों ने उन जिलों में भी पैडी फसलें नोटिफाई की, जहां इसकी कोई आवश्यकता भी नहीं थी. इसके बदले में बीमा कंपनियों ने 45 से 47 प्रतिशत दर से प्रीमियम वसूला है. इसी वजह से नीतियों में बदलाव करते हुए प्रीमियम की रकम को कैप किया गया है.
केंद्र सरकार पर दबाव
पीएम फसल बीमा योजना को आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार ने लागू नहीं किया है, जिसके बाद केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ गया था कि सरकार को इस योजना में बदलाव करना चाहिए. अगर कैबिनेट के अन्य फैसलों की बात की जाए, तो सरकार लोन लेने वाले किसानों का सहायक रूप से एनरोलमेंट कर रही है. इसेक अलावा कॉन्ट्रैक्ट अवधि को 1 साल से बढ़ाकर 3 साल कर दिया गया है.
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