किसानों की गरीबी ,बेहाली और आत्महत्या जैसी खबरें अक्सर सामने आती हैं, लेकिन हमारे समाज में ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने लाख मुसीबतों के बावजूद भी सफलता को शिखर को हासिल कर लिया . . बाराबंकी में एक ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जो हाईस्कूल फेल होते हुए भी सभी मुसीबातों से लड़ कर सफल किसान बन कर दिखाया और आज वह करोड़ो रुपयों के मालिक है . .
बाराबंकी के दौलतपुर गांव में एक गरीब किसान के घर में जन्मे रामशरण वर्मा आज जिलेभर के किसानों की शान हैं. बाराबंकी में उनके खेतों पर देश-विदेश के जाने माने लोगों, कृषि वैज्ञानिकों और किसानों का आना जाना बना रहता है. टिशूकल्चर पद्धति से केले की खेती करके उत्पादन और मुनाफे में रामशरण वर्मा ने नया कीर्तिमान बनाया है. एक एकड़ में बोई गई केले की फसल में ढाई से साढे तीन लाख के बीच मुनाफा कमाते हैं. इसके अलावा टमाटर और आलू की भी उन्नत खेती करके अपने गांव की मिट्टी से सोना पैदा करने की महारत रामशरण ने हासिल की है
राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित :
रामशरण वर्मा को 2007 में देश का सबसे बड़ा कृषि सम्मान राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार मिल चुका है. इसके अलावा 2010 में भी उन्होंने राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार जीतकर अपनी मेहनत और काबिलियत का लोहा मनवाया. साल 2014 में बागवानी के क्षेत्र में भी इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों ने भी रामशरण वर्मा को वैज्ञानिक खेती के लिए सम्मानित किया. सन 2012 में एक कार्यक्रम में रामशरण वर्मा को सम्मानित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें खेती का जादूगर होने की संज्ञा दी थी.
गांव की बदली तक़दीर :
पिछले तीन दशकों में रामशरण वर्मा ने अपनी तकदीर ही नहीं अपने पूरे गांव की तकदीर को बदल दिया है. आज उनके गांव में सैकड़ों किसान केले की लाभदाई खेती कर रहे हैं. रामशरण का जीवन आज किसी वीआईपी के जीवनस्तर से कम नहीं है. एक किसान का एसी गाड़ी में चलना, एयरकंडीशन मकान में रहना और उसके बावजूद जरूरत पड़ने पर खेतों में घंटों मजदूर की तरह काम करना. देखने वालों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है. इस चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से किसानों का आना हर रोज बना रहता है.
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