भोपाल । अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार किसानों के खातों में दस हजार करोड़ रुपए से ज्यादा जमा करा सकती है। अल्पवर्षा के कारण रबी और गर्मी की फसलों का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के तहत सरकार को किसानों को खरीफ, रबी, गर्मी और फिर खरीफ फसलों में नुकसान की बड़े पैमाने पर अंतर की राशि देनी पड़ सकती है।
इसके मद्देनजर ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट बैठक में कहा था कि यदि दस हजार करोड़ रुपए भी लगाने पड़े तो किसानों के लिए लगाए जाएंगे। उधर योजना में पंजीयन कराने वाले किसानों की तादाद प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विशेष ग्रामसभा में साढ़े छह लाख किसानों के आवेदन आए हैं।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि खरीफ फसलों के भाव मंडियों में 12 सौ 50 रुपए से लेकर 250 रुपए तक न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम चल रहे हैं। ऐसी सूरत में सरकार को खरीफ फसल के लिए करीब साढ़े तीन सौ से सवा चार हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। इसमें आधी राशि केंद्र सरकार देने को राजी हो गई है। इसके आदेश केंद्रीय कृषि मंत्रालय जल्द ही जारी कर देगा। कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो खरीफ सीजन में योजना के लिए जिस तेजी के साथ किसानों ने पंजीयन कराया है, उससे संभावना है कि तीन से चार हजार करोड़ रुपए तक का भावांतर देना पड़ सकता है। इसके लिए वित्त विभाग मुख्यमंत्री की हिदायत के बाद वित्तीय इंतजाम करने में जुट गया है। बैंकों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वो पर्याप्त नकदी का इंतजाम करके रखें, ताकि जब किसान का दावा बने तो उसे राशि मिलने में देर न हो।
प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा का कहना है कि योजना को लेकर हर स्तर पर सतर्कता बरती जा रही है। कलेक्टर और एसडीएम को व्यापारियों से बात करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। पंजीयन का काम तेजी से चल रहा है। करीब 20 लाख पंजीयन हो सकते हैं। मॉडल भाव क्या होंगे, यह खरीदी बंद होने के पहले किसी को पता नहीं चलेगा। 16 दिसंबर को जब खरीदी बंद होगी, तब मॉडल भाव घोषित होंगे।
राज्य सहकारी विपणन संघ और राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से भुगतान होगा। मंडियों में हर दिन होने वाली खरीदी और किसानों की जानकारी का ब्योरा सॉफ्टवेयर में दर्ज किया जाएगा। निगरानी के लिए राज्य स्तरीय सेल भी गठित हो रही है, जिसमें पांच अधिकारी रहेंगे।
सूत्रों का कहना है कि भावांतर भुगतान योजना का लाभ जिले की औसत उत्पादकता के हिसाब से मिलेगा यानी प्रति हेक्टेयर में कितनी फसल निकलेगी, यह कृषि विभाग ने तय कर दिया है। हरदा में मूंग की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर दो क्विंटल 30 किलोग्राम निकली है।
इसको लेकर जब विरो हुआ तो सरकार ने होशंगाबाद की उत्पादकता को हरदा में लागू कर दिया। होशंगाबाद में प्रति हेक्टेयर मूंग की उत्पादकता 3 क्विंटल 97 किलोग्राम आंकी गई है। कृषि विभाग के अकिारियों का कहना है कि पांच साल में तीन सर्वश्रेष्ठ उत्पादकता वाले सालों के उत्पादन के हिसाब से औसत उत्पादकता तय की गई है।
अब इस फॉर्मूले को एग्रो क्लाइमेटिक जोन के हिसाब से तय करने की तैयारी चल रही है। इसमें संबंति जोन में जहां भी संबंति फसल की उत्पादकता सर्वाकि होगी, उसे पूरे जोन में लागू किया जाएगा। इससे किसानों को काफी फायदा हो सकता है।
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