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इस किसान ने देशी हल को आधुनिक सीड ड्रिल मशीन में कर दिया तब्दील...

बढ़ईगिरी का काम करने वाले 60 वर्षीय गंगा शंकर के पास खुद एक इंच भी जमीन नहीं है, लेकिन खेती-किसानी का शौक इस कदर है कि उन्होंने दूसरे के खेत बटाई पर ले रखे हैं और उनके खेतों में हमेशा नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. उन्हीं प्रयोगों का नतीजा है कि उन्होंने कबाड़ में पड़े साइकिल के पहिए और फ्रीव्हील को देशी हल मेंजोड़कर आधुनिक सीड ड्रिल मशीन में तब्दील कर दिया.

KJ Staff
Seed Drill
Seed Drill

बढ़ईगिरी का काम करने वाले 60 वर्षीय गंगा शंकर के पास खुद एक इंच भी जमीन नहीं है, दूसरे के खेत बटाई पर ले कर खेती करते हैं और उनके खेतों में हमेशा नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. उन्हीं प्रयोगों का नतीजा है कि उन्होंने कबाड़ में पड़े साइकिल के पहिए और फ्रीव्हील को देशी हल में जोड़कर आधुनिक सीड ड्रिल मशीन में तब्दील कर दिया.

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के बछरावां ब्लॉक से नौ किलोमीटर पश्चिम में एक छोटे से गाँव कुसेली खेड़ा में रहने वाले गंगा शंकर काका इन दिनों क्षेत्रीय ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। शंकर काका बताते हैं, “हमारा पुश्तैनी काम बढ़ई का है, लेकिन मुझे बचपन से ही खेती किसानी का शौक रहा है. खेती किसानी में रुचि के कारण मैं हमेशा किसान गोष्ठियों में जाया करता हूं. वहीं पर मुझे पता चला की फसल वैज्ञानिक पद्धति से क्रमबद्ध तरीके से बुवाई की जाए तो खाद बीज की लागत कम होगी और फसल की उपज भी बढ़ेगी.

”वह आगे बताते हैं, “मुझे क्रमबद्ध तरीके से फसल की बुवाई करनी थी और उसके लिए सीड ड्रिल मशीन चाहिए थी. पर मशीन खरीदने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे और अगर मशीन खरीद भी ले तो उसे चलाने के लिए ट्रैक्टर कहां से लाऊंगा. इसी उधेड़-बुन में मुझे रात भर ठीक से नींद नहीं आई.

सुबह उठा और मायूस मन से अपने बैलों को चारा पानी देने लगा कि अचानक मेरी निगाहें पास में ही रखे हल पर पड़ी. मुझे मेरे हल में ही सीड ड्रिल मशीन दिखने लगी. मैंने फैसला किया कि मैं अपने देशी हल को आधुनिक सीड ड्रिल मशीन में बदल कर रहूंगा.

”मेरे पास एक फ़र वाला हल था जिस पर मैंने अपना पहला प्रयोग किया. प्रयोग के लिए मैंने कबाड़े में पड़ी साइकिल का पहिया और फ्रीवील निकाली और आटा चक्की पर गेहूं भरने वाले बॉक्स की तरह लकड़ी का एक छोटा सा बॉक्स बनाया.

कुछ महीनों के बाद मेरी देसी सीड ड्रिल मशीन तैयार हो गई और मैंने उसे परखने के लिए खेत में उतारा पर कुछ समय बाद मुझे महसूस होने लगा कि यह मशीन अभी सही नहीं है. क्योंकि इसमें समय, बीज और मजदूरों की लागत ज्यादा आ रही थी. जिससे मैं संतुष्ट नहीं था.

पहले प्रयोग से संतुष्टि ना मिल पाने के बाद मैंने फैसला किया कि अगर फ़रो की संख्या बढ़ा दी जाए तो समय और मजदूरी दोनों की बचत होगी। मैं बाजार गया और तीन फ़र वाला हल खरीद कर लाया। उसके बाद सब कुछ वैसे ही करना था बस फ्रिवील की संख्या और बॉक्स का आकार बढ़ाना था.

लगभग एक वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद मेरी तीन फ़र वाली सीड ड्रिल मशीन तैयार हो गई. जिसे मैंने अपने ट्रैक्टर रुपी बैलों पर खेत में उतारा.नतीजा संतुष्टि जनक मिला.

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English Summary: This farmer turned the native hull into a modern seed drill machine ... Published on: 22 January 2018, 11:06 PM IST

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