
खेती की दुनिया में तकनीक अब क्रांति ला रही है. इसी क्रम में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने किसानों की मेहनत को आसान और खेती को अधिक कुशल बनाने के लिए एक खास ड्राइवर-असिस्टेड ट्रैक्टर तकनीक विकसित की है. इस नई तकनीक की मदद से खेती अब और भी स्मार्ट और पर्यावरण के अनुकूल बन सकेगी.
बता दें कि PAU ने किसानों की मेहनत को ओर भी आसान बाने के लिए ड्राइवर-असिस्टेड ट्रैक्टर/ Driver-Assisted Tractors को तैयार किया है. इस ट्रैक्टर की मदद से अब किसान कम समय व कम लागत में अच्छी खेती कर पाएंगे.
क्या है यह तकनीक?
PAU द्वारा विकसित यह तकनीक एक ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित ऑटो-स्टीयरिंग सिस्टम है. इसे एक बार खेत की मैपिंग करके ट्रैक्टर में इंस्टॉल किया जाता है. इसके बाद ट्रैक्टर बिना ड्राइवर के भी खुद-ब-खुद खेत में जुताई कर सकता है. यह सिस्टम कम रोशनी में भी सटीक संचालन सुनिश्चित करता है.
तीन मुख्य कंपोनेंट्स:
- GNSS रिसीवर – ट्रैक्टर की सटीक पोजिशनिंग के लिए
- आईपैड/टैबलेट – खेत की मैपिंग और कंट्रोल के लिए
- सेंसर और मोटराइज्ड स्टीयरिंग यूनिट – ऑटोमैटिक संचालन के लिए
कैसे करता है काम?
किसान को खेत की लंबाई-चौड़ाई और स्थान की जानकारी एक टैबलेट में फीड करनी होती है. फिर सिस्टम ट्रैक्टर को उपग्रह संकेतों के माध्यम से एक तय रूट पर चलाता है. यह सिस्टम खेत के हर कोने में सटीक जुताई करता है और ओवरलैप या खाली हिस्सों को न्यूनतम करता है.
सभी ट्रैक्टरों में इस्तेमाल योग्य
PAU के वाइस चांसलर डॉ. सतबीर सिंह गोसल के अनुसार, यह सिस्टम किसी भी आकार और क्षमता के ट्रैक्टर में फिट किया जा सकता है. यह रोटावेटर, हल, कल्टीवेटर जैसे कृषि उपकरणों के साथ भी आसानी से काम करने में सक्षम है.
कितना आएगा खर्च?
फिलहाल यह सिस्टम 3 से 4 लाख रुपये तक की लागत में इंस्टॉल होता है क्योंकि इसके कई कंपोनेंट्स विदेश से मंगवाए जाते हैं. लेकिन भविष्य में लोकल मैन्युफैक्चरिंग शुरू होने पर इसकी कीमत किसानों के लिए बेहद कीफायती होगी.
किसानों को मिलेंगे ये फायदे
- शारीरिक मेहनत में कमी
- समय और ईंधन की बचत
- सटीक जुताई और बेहतर उत्पादन
- खेत के कोनों तक भी कार्य संभव
- पर्यावरणीय प्रभाव में कमी
Share your comments