किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए देश में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने के कई हानिकारक परिणाम सामने आ रहे हैं जिसमें प्रदूषण की समस्या सबसे जायादा हो रही है. वैसे अगर पराली या फसल अवशेष जलाने की बात करें तो ये देश में लगभग हर राज्यों के किसान कर रहे हैं लेकिन, पराली जलाने कि सबसे ज्यादा मामले दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, व अन्य राज्यों में सामने आते हैं. जिसकी वजह से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या भयावह हो जाती है.
किसानों के बीच उभरते इस समस्या के लिए किसानों को अलग-अलग तरह से जागरूक किया जा रहा है. वहीं हरियाणा स्थित फार्म मशीनरी बनाने वाली कंपनी फील्डकिंग ने इस समस्या के लिए नए-नए उपकरण तैयार किए हैं जिससे बड़े ही आसानी से पराली की समस्या को रोका जा सकता है. कंपनी के द्वारा तैयार किया गया ये मशीनरी किसानों के लिए भी काफी फायदेमंद है. ये है कंपनी के द्वारा बनाया गया मशीनरी के बारे में विस्तृत जानकारी जिससे पराली की समस्या को रोका भी जा सकता है और आय भी कमाई जा सकती है.
इस गंभीर परिस्थिति को देखते हुए फील्डकिंग ने फसल प्रबंधन के लिए अपने नए कृषि यंत्र मल्टीक्रोपहार्वेस्टर विद स्ट्राचोपर, रोटरी मल्चर, रिवर्सेबल माउलबोल्डप्लाओ, हैपीसीडर, हेरेक वस्क्वेयर बेलर आदि उरकरण मार्केट में उतारे हैं, जिनका उपयोग करके फसल अवशेष न जलाने के प्रति कंपनी किसानों को जागरूक कर ने में लगी हैं. मल्टी क्रोपहार्वेस्टर विद स्ट्राचोपर, रोटरी मल्चर आदि कृषि यंत्रों की मदद से किसान फसलों के अवशेषों के छोटे-छोटे टुकड़े कर सकते हैं फिर रिवर्से बलमाउल बोल्डप्लाओ को चला कर गहरी जुताई करके फसल के अवशेषों को जमीन में वापिस मिला सकते हैं. इस तरह भूमि की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है अथवा किसान इन अवशेषों को पहले हेरेक से एक त्रितकर फिर बेलर सेबेलें बनाकर व उन्हें बेचकर आए कमा सकते हैं.
बता दें की कृषि यंत्रों में फील्डकिंग एक प्रतिष्ठित नाम जो पिछले 40 वर्षों से भारत में ही नहीं बल्कि 100 अन्य देशों के 12 लाख से ज्यादा किसानों को लाभ पहुंचा रहा है.
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