आधुनिकीकरण के इस दौर में किसानों के लिए कृषि यंत्र काफी सक्षम साबित हो रहे हैं. किसानों के कार्य को आसान बनाने में कृषि यंत्र ने अच्छी भूमिका निभाई है. एक वक्त जहां किसान खेती के लिए अपने पूरे परिवार को उसमें सम्मिलीत करता था आज वो सारा काम कृषि यंत्रों की मदद से कम लोगों में भी कर सकता है. आज छोटे से लेकर हर बड़े कार्यों के लिए कृषि यंत्र किसानों के बीच उपलब्ध है. कृषि यंत्र ने एक तरफ जहां किसानों का कार्य आसान किया है वहीं इसके मदद से कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है.
आज आपको एक ऐसे ही कृषि यंत्र 'रोटावेटर' के बारे मे जानकारी देंगे जो कृषि यंत्रों में काफी महत्वपूर्ण है. इस यन्त्र का उपयोग हरी खाद बनाने में भी किया जाता है. यह खेत की मिट्टी को भुरभुरी बनाने में उपयोगी है. इसका उपयोग गीली एवं सूखी दोनों तरह की भूमि को जोतने में किया जाता है. रोटावेटर का इस्तेमाल खासकर हल्की एवं मध्यम अवस्था वाली मिट्टी में चलने में पूर्ण सक्षम है. इसका प्रयोग 10 से 15 से.मी. गहराई तक की मिट्टी को मुलायम करने के लिए प्रयोग किया जाता है.
रोटावेटर एक बार की जुताई से ही खेत बुवाई के लिए तैयार किया जा सकता है और यंत्र को चलाने के बाद सीधे बुवाई किया जा सकता है. रोटावेटर को लगभग 40 से 50 अश्वशक्ति वाले ट्रैक्टर की पी.टी.ओ. द्वारा शक्ति दी जाती है. यंत्र की फालें अंग्रेजी के अक्षर 'एल' आकार की होती है. यह एक के बाद एक विपरीत दिशा में रोटर शॉफ्ट पर लगी होती हैं, जो कि ट्रैक्टर के पी.टी.ओ. शॉफ्ट द्वारा लगभग 210 आर.पी.एम. पर चलाई जाती हैं.
यह मशीन एक बार में ही मिट्टी को भुरभुरी तथा बुवाई योग्य बना देती है. इस यंत्र के पीछे मिट्टी तो समतल करने के लिए एक लेवलर भी लगा रहता है जिससे मिट्टी भुरभुरी एवं समतल हो जाती हैं. इसकी कार्य क्षमता 0.40 हेक्टेयर प्रति घण्टा है.
अत: एक दिन में लगभग 1.5 से 2 हैक्टेयर खेत की एक बार में जुताई की जा सकती है.
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