पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. हमारे शरीर को स्वस्थ रहने के लिए पानी अनिवार्य रूप से चाहिये. आपने भी ये बात जरूर सुनी होगी कि एक व्यक्ति को प्रति दिन दो से ढ़ाई लीटर पानी पीना चाहिये. लेकिन क्या कभी आपने यह कभी सोचा है कि पानी किस तरह से पीना चाहिये. पानी पीने के क्या नियम हैं. भोजन विज्ञान के मुताबिक पानी को कैसे पीना चाहिये और किस तरह नहीं पीना चाहिये, आज हम इन्हीं बातों से आपको अवगत करायेंगें.
पानी सदैव बैठकर पिएं
पानी को खड़े होकर नहीं बल्कि बैठकर पीना चाहिये. आयुर्वेद के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी खड़े होकर पानी पीना हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक है. खड़े होकर पानी पीने से शरीर का लिक्विड बैलेंस बिगड़ता है और जोड़ों को नुकसान पहुंचता है. ये इतना खतरनाक हो सकता है कि भविष्य में आपको आर्थराइटिस की शिकायत हो सकती है. वहीं बैठकर पानी पीने से भोजन जल्दी पचता है और नर्व्स रिलैक्स्ड मोड में चली जाती है. बैठकर पानी पीने से किडनियों पर भी कम दबाव आता है.
थोड़ा-थोड़ा करके पिएं पानीः
पानी पीना फायदेमंद है लेकिन एक साथ पानी पीना खतरनाक है. एक साथ पानी पीने से पेट फूलता है और गैस की समस्या होती है. इतना ही नहीं एक साथ पानी पीने से आपको हाइपरटेंशन भी हो सकता है. पानी थोड़े-थोड़े अंतराल पर पीना सही है. जैसे कि आधे लीटर पानी को थोड़ा-थोड़ा करके 5 घंटों में पिया जा सकता है.
खाने के दौरान पानी का इस तरह पिएं.
खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिये. कोशिश करें कि पानी का सेवन भोजन के 30 मिनट बाद हो जिससे आपके स्वास्थ पर नकारात्मक प्रभाव ना पड़े. दरअसल भोजन के बाद उसे पचाने के लिये हमारा शरीर एंजाइम्स रिलीज़ करता है. ऐसे में तुरंत पानी पीना उनके कार्य में बाधा बनते हुए आपके पेट को फूलाने का कार्य करता है.
चुस्कियां लेते हुए पिएं पानीः
बोतल से आसमान की ओर मुंह कर पानी गटकना खतरनाक है. पानी हमेशा गिलास से सिप लेते हुए पीना चाहिये.
रूम टेम्परेचर पर ही पानी पिएः
रेफ्रिजरेटर से निकला हुआ एकदम ठंडा पानी नहीं पीना चाहिये. ये पाचन प्रणाली को बिगाड़ने का कार्य करता है. ब्लड सर्कुलेशन, पाचन क्रिया और स्वास्थ को सही रखने के लिए रूम टेम्परेचर पर पानी पीना फायदेमंद है.
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