मक्के की खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक होती है. इसे सभी तरह की मिट्टियों में आसानी से उगाया जा सकता है. लेकिन बलुई और दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिये बेहतर समझी जाती है.
मक्का एक ऐसा अनाज है जो मोटे अनाज की श्रेणी में आता है लेकिन फिर भी इसकी पैदावार पिछले दशक में भारत में एक महत्त्वपूर्ण फसल के रूप में मोड़ ले चुकी है क्योंकि, यह फसल सभी मोटे व प्रमुख अनाजों की बढ़ोत्तरी दर में सबसे आगे है. ऐसे में आइए आज हम आपको मक्के की बालियां के फायदों के बारें में बताते है-
दांत मजबूत (Teeth Strong)
बड़ों को साथ- साथ बच्चों को भी मक्के की बालियां अवश्य खिलाने चाहिए इससे उनके दांत मजबूत होते हैं. जब आप मक्के की बालियां खाएं तो दानों को खाने के बाद जो मक्के की बालियां का भाग बचता है उसे फेंकें नहीं बल्कि उसे बीच से तोड़ लें और उसे सूंघें.
इससे सर्दी जुकाम में बड़ा फायदा मिलता है. बाद में इसे जानवर को खाने के लिए डाल सकते हैं.
खांसी का इलाज (Cough treatment)
अगर आप दाने को खाने के बाद मक्के की बालियां जानवर को नहीं देते हैं तो उन्हें सूखा दें. फिर उन्हें जलाकर राख बना कर रख लें. सांस के रोगों में भी मक्के की बालियां बड़ा कारगर होता है.
इस राख को प्रतिदिन गुनगुने पानी के साथ फांकने से खांसी का इलाज होता है. खांसी कैसी भी हो यह चूर्ण लाभ देता ही है और बड़ी राहत मिलती है.
विटामिन (Vitamin)
आयुर्वेद के अनुसार मक्के की बालियां तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता और बढ़ जाती है.
पके हुए मक्के की बालियां में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है.मक्के की बालियां को पकाने के बाद उसके 50 फीसद एंटी-ऑक्सीअडेंट्स बढ़ जाते हैं.
कैंसर रोकथाम में सहायक (Cancer prevention aids)
मक्के की बालियां बढती उम्र को रोकता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है. पके हुए भुट्टे में फोलिक एसिड होता है जो कि कैंसर जैसी बीमारी में लड़ने में बहुत मददगार होता है.
इसके अलावा मक्के की बालियां में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. मक्के की बालियां को एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है, जो दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है.
पेशाब की जलन व किडनी की समस्या (Burning urination and kidney problems)
मक्के की बालियां किडनी में होनी वाली समस्याओं को रोकने में बहुत फायदेमंद माना जाता है. मक्के की बालियां (ताजे दूधिया, जो कि पूरी तरह से पका न हो) के दाने पीसकर एक खाली शीशी में भरकर उसे धूप में रखिए. जब उसका दूध सूख कर उड़ जाए और शीशी में केवल तेल रह जाए तो उसे छान लीजिए.
उसके बाद हर रोज एक चम्मच तेल को चीनी के बने शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है. ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन व गुर्दों ( किडनी ) की कमजोरी समाप्त हो जाती है.
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