तुलसी का पौधा हर घर में होता है और इसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है. लेकिन तुलसी के अलग-अलग प्रकार होते हैं, जिनमें से एक वन तुलसी है. यह सर्दियों में होने वाली सर्दी-खांसी, जुकाम जैसी समस्याओं के लिए रामबाण इलाज है. इस पौधे में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो शरीर की इम्यून सिस्टम को बढ़ाते हैं. ऐसे में आज हम कृषि जागरण के इस आर्टिकल में वन तुलसी के 5 बड़े फायदों के बारे में जानेंगे.
वन तुलसी कैसी होती है?
वन तुलसी का पौधा लगभग 60 से 90 cm ऊंचा, सीधा और अनेक शाखाओं वाला होता है. इनके तने का रंग बैंगनी होता है. इसके पत्ते आकार में लम्बे होते हैं. इनके फूल खुशबुदार, सफेद, गुलाबी अथावा बैगनी रंग के होते हैं. इनके फल लम्बे, थोड़े नुकीले, श्यामले रंग के, चिकने व झुर्रीदार होते हैं. इनके बीज श्यामले रंग के, अंडाकार एंव आयताकार होते हैं. इसमें फल और फुल साल के बारहों महीने लगे होते हैं.
वन तुलसी के 5 बड़े फायदे/ 5 Big Benefits of Van Tulsi
इम्यून सिस्टम बनाता है मजबूत
वन तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं और इम्यून सिस्टम बेहतर बनाता है. इसका रोजाना सेवन करने से सर्दी, खांसी और गले की समस्याओं में राहत मिलती है.
तनाव और थकान करता है दूर
वन तुलसी में एडाप्टोजेन गुण होते हैं, जो मानसिक थकान को कम करते हैं. इसका रोजाना सेवन करने से ऊर्जा का स्तर बढ़ता है. साथ ही शारीरिक और मानसिक थकान में राहत मिलता है.
रूखी त्वचा में जान
सर्दी में त्वचा में नमी की कमी के कारण यह रूखी और सख्त हो जाती है. ऐसे मे वन तुलसी का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा में निखार आता है. साथ ही इसका सेवन शरीर के अंदरूनी त्वचा को भी हेल्दी बनाता है.
श्वसन तंत्र मजबूत
वन तुलसी में पाए जाने वाले रोगाणुरोधी गुण श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं. यह कफ को साफ करने और फेफड़ों को मजबूत बनाता है. वन तुलसी के पत्तों का भाप लेने से शरीर गर्म रहता है.
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पाचन तंत्र मजबूत
वन तुलसी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो ठंड के मौसम में होने वाले पाचन संबंधी समस्याएं जैसे गैस, अपच और कब्ज से राहत दिलाने का काम करते हैं. इसका काढ़ा पीने से गैस और एसिडिटी में जैसी समस्याएं नहीं होती है. साथ ही, यह भूख बढ़ाने और पाचन शक्ति को मजबूत करने में भी सहायक होती है.
लेखक: नित्या दुबे
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