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कड़वे करेले में छुपे हैं कितने औषधीय गुण, जानने के लिए पढ़ें यह लेख

करेला एक ऐसी सब्जी है, जिसे पसंद और नापसंद करने वाले लोगों की संख्या लगभग बराबर ही होती है. लेकिन इस बात को सभी मानते हैं कि पेट से लेकर दिमाग तक शरीर के हर अंग को स्वस्थ रखने में करेला काफी मददगार साबित होता है. करेला एंटीबायोटिक और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है. इसमें पाए जाने वाला विटामिन- सी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

स्वाति राव

करेला एक ऐसी सब्जी है,  जिसे पसंद और नापसंद करने वाले लोगों की संख्या लगभग बराबर ही होती है.  लेकिन इस बात को सभी मानते हैं कि पेट से लेकर दिमाग तक शरीर के हर अंग को स्वस्थ रखने में करेला काफी मददगार साबित होता है.  करेला एंटीबायोटिक और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है.  इसमें पाए जाने वाला विटामिन- सी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

करेले का वैज्ञानिक नाम लेटिन में मोर्डिका एवं इसको अंग्रेजी भाषा में बिटर गॉर्डगोर्द नाम से जाना जाता है. इसके पौध में तना नहीं होता है,  यह एक बेल के आकार की  पौध होती है.जो हरे रंग की होती है. यह स्वाद में बेहद कड़वा होता है. एक अच्छी सब्जी होने के साथ−साथ करेले में दिव्य औषधीय गुण पाए जाते हैं. यह आकार में दो प्रकार के  होते हैं बड़ा एवं छोटा करेला. बड़े करेले  गर्मियों के मौसम में जबकि छोटे करेले  बारिश के मौसम में मिलते है. दरअसल इनका स्वाद बहुत कड़वा होता है,  इसलिए अधिकांश लोग इसकी सब्जी को खाना पसंद नहीं करते हैं. इसके कड़वेपन को दूर करने के लिए नमक का इस्तेमाल किया जाता है.

यह ठंडी तासीर का फल का है,  यह शरीर में पाचन क्रिया को मजबूत कर,  पेट को साफ करने में मदद करता है.  प्रति 100 ग्राम करेले की मात्रा में लगभग 92 ग्राम नमी पाई जाती  है. इसके साथ ही इसमें लगभग 4 ग्राम कार्बोहाइट्रेट,  1.5 ग्राम प्रोटीन,  20 मिलीग्राम कैल्शियम,  70 मिलीग्राम फास्फोरस,  1.8 मिलीग्राम आयरन तथा बहुत थोड़ी मात्रा में वसा पाई जाती है. इसके अलावा इसमें विटामिन - ए तथा विटामिन - सी पाया जाता है.  इसमें मौजूद कम मात्रा में नमी एवं वसा की वजह से यह गर्मियों का बहुत लाभदायी फल माना जाता है.

करेले के औषधीय गुण

करेले के प्रयोग से त्वचा में निखर आता है और किसी भी प्रकार के फोड़े−फुंसियों से निजात मिलती है.

मल को शरीर से बाहर निकलने में मदद करता है,  इसके साथ ही यह शरीर के मूत्र मार्ग को भी साफ़ रख्नने में मदद करता है.

इसमें मौजूद विटामिन- ए की अधिक मात्रा होने से यह आँखों की रोशनी को बढाता है.

आँखों में होने वाली बीमारी रतौंधी से भी बचाता है, अगर इसके पत्तों का सेवन काली मिर्च के साथ किया       जाये तो इस बीमारी से निजात मिलती है.

इसमें अधिक मात्रा में मौजूद विटामिन- सी हमारे शरीर की नमी को बनाये रखता है.

करेले के सेवन से कब्ज की शिकायत नहीं होती है और यदि किसी व्यक्ति को कब्ज हो तो इससे कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है.

इसके साथ ही करेला एसिडिटी ,  छाती में जलन और खट्टी डकारों की समस्या भी दूर करता है.

यदि किसी व्यक्ति मलेरिया,  पीलिया से ग्रस्त हो तो इसका सेवन बहुत लाभकारी होता है,  रोगी को करेले के पत्तों या कच्चे करेले को पीसकर पानी में मिलाकर दिन में कम से कम तीन बार दिया जाये तो वह बहुत जल्दी ठीक हो सकता है .

यदि किसी को दर्द और गठिया रोग हो तो वो करेले की सब्जी का सेवन दिन में तीन बार करे तो जल्दी फायदा मिलता है .

त्वचा सम्बन्धी रोग जैसे फोड़े – फुंसी,  या कुष्ठ रोग पर करेले के पत्तों का लेप बहुत लाभदायी होता है

यदि किसी को बवासीर की शिकायत है तो करेले को मिक्सी में पीसकर प्रभावित स्थान पर हल्के−हल्के हाथों से लेप लगाना चाहिए.  यह लेप नियमित रूप से रात को सोने से पहले लगाएं.  यदि किसी को खूनी बबासीर हो तो करेले के रस की एक चम्मच मात्रा में शक्कर मिलाकर पीने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है.

यह शरीर में उत्पन्न विषैले तत्वों को तथा अनावश्यक वसा को दूर करता है अतः यह मोटापा दूर करने में भी विशेष रूप से सहायक होता है .

यदि शरीर में किसी भी अंग में जलन हो वहां करेले के पत्तों का रस लगाना चाहिए.  अपनी शीतल प्रकृति के      कारण यह तुरन्त लाभ देता है.

मधुमेह  यानि शुगर के रोगियों के लिए करेला एक वरदान के रूप में माना जाता है.  उन्हें करेले का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए.  बिना कड़वापन दूर किए करेले की सब्जी तथा इसके पत्तों या कच्चे करेले का रस पूरी गर्मियों में लगातार,  सुबह−शाम नियमित रूप से लेने पर रक्त में शर्करा का स्तर काफी कम हो जाता है.

करेले का रस पेट के कीड़ों को भी दूर करने में लाभदायी होता है . इसमें मौजूद आयरन (लौह तत्व) की अधिकता के कारण करेला एनीमिया यानि खून की कमी को भी दूर करने में मदद करता है.  करेले का रस तीनों दोषों अर्थात वात,  पित्त और कफ दोष का नाश करता है.

स्माल पॉक्स, चिकन पॉक्स तथा खसरे जैसे रोगों में करेले को उबालकर रोगी को दिया जाये तो यह बहुत लाभकारी होता है.

इस लेख में आपने जाना करेले के औषधीय गुणों के बारे में ,  ऐसी ही विशेष जानकारियों को पढ़ने एवं जानने के लिए पढ़ते रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल.

English Summary: How many medicinal properties are hidden in bitter gourd? Read this special news to know Published on: 10 July 2021, 05:16 PM IST

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