भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अखबार में पकौड़े, समोसे, चाट या दूसरी खाने की चीजें रखकर खाने से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. इससे आपको कैंसर तक हो सकता है. इस संबंध में FSSAI ने 2018 में एक नियम भी बनाया था. इस नियम के अनुसार किसी भी ढाबे पर, किसी भी ठेले पर, किसी भी दुकान पर अखबारों में खाना लपेट कर देना या परोसना पूरी तरह से वर्जित यानी मना है. लेकिन भारत में आज भी लाखों स्ट्रीट वेंडर इस नियम का पालन नहीं करते हैं. कचौड़ी, समोसे, परांठे, यहां तक की पोहा या खाने की दूसरी चीजें भी अब भी अखबार में ही देते हैं; और लोग कभी इसका विरोध नहीं करते हैं. आप भी नहीं करते होंगे.
एक अनुमान के मुताबिक, देश में प्रतिदिन अलग-अलग अखबारों की लगभग 22 करोड़ कॉपियां प्रकाशित होती हैं उनमें से अलग-अलग राज्यों में लाखों कॉपी का इस्तेमाल ठेलों पर खाना परोसने टिफिन पैक करने के लिए किया जाता है. जो कि खतरनाक है. इसी के मद्देनजर FSSAI ने देशभर में उपभोक्ताओं और खाद संबंधी सामग्री बेचने वाले विक्रेताओं से खाद्य पदार्थों की पैकिंग, परोसने और भंडारण के लिए समाचार पत्रों का उपयोग तत्काल बंद करने का आग्रह किया गया है.
अखबारों में खाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की आशंका
दरअसल, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बुधवार को एक निर्देश जारी किया, जिसमें खाना को लपेटने या पैकेजिंग के लिए समाचार पत्रों के उपयोग से जुड़े स्वास्थ्य खतरों पर चिंता व्यक्त की गई है. FSSAI के सीईओ जी. कमला वर्धन राव ने कहा कि इस अखबारों में खाना खाने या लपेटकर देने से कई स्वास्थ्य संबंधी जोखिम होने की संभावना होती है और इस पहल का उद्देश्य उपभोक्ताओं, खाद सामग्री विक्रेताओं और अन्य हितधारकों को खतरों के प्रति सचेत करना है.
उन्होंने कहा, "समाचार पत्रों में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाले विभिन्न बायोएक्टिव पदार्थ होते हैं, जो भोजन को दूषित कर सकते हैं और खाने पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं."
अखबारों में बैक्टीरिया और वायरस मौजूद होने का खतरा
उन्होंने यह भी कहा कि छपने वाली स्याही में लेड यानी सीसा सहित कई खतरनाक रसायन शामिल होते हैं जो भोजन में प्रवेश कर स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा कर सकते हैं. FSSAI ने कहा कि अखबारों को बांटने के दौरान कई जगह रखा जाता है, जिससे उसमें बैक्टीरिया और वायरस शामिल होने की आशंका बढ़ जाती है जो अखबार में खाने पर खाने में भी शामिल हो सकते हैं, जिससे खाद्य संबंधी समस्याओं के होने की संभावना बढ़ जाती है.
मुंह के कैंसर से लेकर फेफड़ों के कैंसर तक होने का खतरा
FSSAI यानी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, अखबार की छपाई के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में डाई आइसोब्यूटाइल फटालेट और डाई एन आइसोब्यूटाइल जैसे खतरनाक रसायन मौजूद होते हैं. वहीं अखबार में गर्म खाना रखने से यह स्याही कई बार खाने के साथ चिपक जाती है. जिससे सेहत को नुकसान होता है. शरीर में इन केमिकल्स की ज्यादा मात्रा होने पर मुंह के कैंसर से लेकर फेफड़ों के कैंसर तक होने का खतरा बना रहता है.
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इसके अलावा, पाचन तंत्र को भी नुकसान पहुंचता है और पेट का इंफेक्शन तक हो सकता है. कुछ विशेषज्ञों की मानें तो इससे आंख की रोशनी जाने का भी खतरा बना रहता है. इससे खासतौर पर बुजुर्गों और बच्चों को नुकसान पहुंचता है.
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