रबी फसलों में प्रमुख जौ के पौधे से तो हर कोई वाकिफ होगा. संस्कृत में जौ को “यव:” कहते हैं. साथ ही इसका वैज्ञानिक नाम होर्डियम वल्गारे है. ये होर्डियम जीनस व पोएशियाई के अनाज वाले पौधे की प्रजाति है. प्राचीन समय में गेहूं से ज्यादा जौ घास का प्रयोग होता था लेकिन अब जौ की उपयोगिता धीरे-धीरे घटती जा रही है. जौ की प्रमुखता आज भी कुछ धार्मिक महोत्सवों के साथ-साथ पूजा-पाठ में है. नवरात्रि के वक्त जौ की उपयोगिता पूजा समाग्री में अनिवार्य होती है. जौ से बने व्यंजनों की गिनती पौष्टिक आहार में होती है. इससे बने व्यंजन इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में काफी कारगर सिद्ध होते हैं.
जौ में पाए जाने वाले पौषक तत्व-
जौ घास (Barley Grass) हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है. इसमें कई तरह के पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. जो कि हमारे शरीर के प्रतिरोधक क्षमता के साथ- साथ कई बीमारियों को भी नियंत्रित करती है. साथ ही अनेकों बीमारियों को जड़ से मिटाने में ये एक प्रकार की रामबाण औषधि भी है. जौ में प्रचुर मात्रा में विटामिन, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स,पॉलीफेनॉल्स,डायटरी फाइबर,प्लांट कम्पाउंड्स पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट,जिंक,वसा, कैल्शियम,फॉस्फोरस,क्रोमियम,कॉपर, आयरन व कई तत्व मौजूद रहते हैं.
जौ जूस का सेवन कई बीमारियों का रामबाण इलाज-
जौ जूस (Barley Juice) के नियमित सेवन से मानसिक तनाव या हाइपर टेंशन से जल्द ही छुटकारा मिलता है साथ ही निंद ना आने की बीमारी में जौ जूस के नियमित सेवन से इस बीमारी से मुक्त हुआ जा सकता है.
ये भी पढ़ें: शरीर के बढ़ते मोटापे को रोकने के लिए करें ये जरुरी काम
इसके अलावा कई बीमारियों में जौ जूस के नियमित सेवन से राहत मिल सकती है जैसे-डायबिटीज,गठिया, लिवर की किसी प्रकार की बीमारी में, थकान को दूर करने में, दिल की बीमारी,हड्डियों में मजबूत रखने के लिए साथ ही त्वचा संबंधित किसी प्रकार की समस्या के लिए जौ जूस का सेवन काफी मददगार सिद्ध होता है.
Share your comments