हमारे देश में औषधीय वृक्षों को बहुत महत्व दिया जाता है. औषधीय वृक्षों का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में होता है, इसलिए अधिकतर लोग औषधीय वृक्षों लगाते हैं. इनमें पारिजात वृक्ष का नाम भी शामिल है इसके फूल बहुत ही सुंदर, खुशबूदार और सोबर होते हैं. इसको प्राजक्ता, शिउली और हरश्रृंगार के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खूशबू इतनी मोहक होती है कि जहां यह वृक्ष लगा हो वहां आस-पास का वातावरण हर समय महकता रहता है. आइए आज पारिजात वृक्ष की खासियत पर प्रकाश डालते हैं.
कब लगाया जाता है पारिजात का वृक्ष
इस वृक्ष पर साल में एक ही बार फूल खिलते हैं. ये फूल सर्दियों के मौसम की शुरुआत में आते हैं. इसका मतलब है कि यह वृक्ष सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में लगा सकते हैं. इन फूलों की लाइफ बहुत कम होती है, लेकिन सूखने के बाद भी इनकी महक बरकरार रहती है. इसके फूलों का उपयोग साज-सज्जा से लेकर गजरे बनाने, पूजा-पाठ, औषधीय तेल और आयुर्वेदिक दवाएं तैयार करने में किया जाता है.
ये भी पढ़ें: औषधीय गुणों से भरपूर हैं ये 2 पेड़, जानें इनकी खासियत
पारिजात से तैयार हर्बल तेल
इसके फूलों से तैयार तेल में ऐंटिएलर्जिक प्रॉपर्टीज भी पाई जाती हैं. इसके तेल का उपयोग ब्यूटी प्रॉडक्ट्स और बॉडी सीरम आदि में किया जाता है. इससे लगाने से त्वचा पर जल्दी से किसी तरह के बैक्टीरिया और फंगस ऐक्टिव नहीं होते हैं.
पारिजात से तैयार हर्बल तेल की खूबियां
-
पारिजात फूलों से तैयार हर्बल तेल बहुत अच्छा दर्दनाशक होता है.
-
यह शरीर के जोड़ों में होने वाले दर्द में बहुत प्रभावी तरीके से राहत देता है.
-
अर्थरॉइटिस की समस्या से राहत दिलाता है.
-
घुटने, कमर, कंधे, कोहनी, एड़ी जैसी जगहों पर असहनीय दर्द को खत्म करता है.
-
डेंगू का इलाज भी किया जा सकता है.
-
हड्डियों में दर्द की समस्या को दूर करता है.
पारिजात से तैयार हर्बल-टी की खूबियां
इसके पत्तों से तैयार हर्बल-टी बहुत अधिक लाभकारी होती है, क्योंकि इसमें ऐंटिऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं. इससे शरीर की थकान दूर होती है, साथ ही मन को शांति देने का काम करती है.
Share your comments