पथरीली जमीन अब पहाड़ के लोगों के विकास में रोड़ा नहीं बनेंगी. दरअसल उत्तराखंड के देहरादून में पथरीली जमीन पर जड़ी-बूटी को उगाया जाएगा. यह किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ ही लोगों को किफायती औषधियों को उपलब्ध कराने में काफी कारगार साबित होगी.
यहां के जड़ी-बूटी शोध संस्थान ने पथरीली जमीन एवं चट्टानों पर पनपने वाली जड़ी-बूटी को लेकर रॉक हर्बल गार्डन को तैयार किया गया है. इस भूमि पर पाषाणभेद, कपूर कचरी, पत्थरचट्टा, इंद्रायण, विरीहकंद, दारू हिरद्रा, हरड़ और बहेड़ा आदि को पनपाया जाएगा.
बंजर जमीन विकसित होगी (Barren land will develop)
बता दें कि हिमालयी राज्य उत्तराखंड का कुल क्षेत्रफल 53 हजार वर्ग किमी है. सूबे में नौ जनपद पर्वतीय है. इन जिलों में अधिकांश पथरीली भूमि होती है या फिर चट्टानों से पटी होती है. इन सभी पर उन्नत किस्म की फसल नहीं उग पाती है. इसी वजह से स्थानीय किसान इस जमीन को ऐसे ही बंजर छोड़ देते है. इससे जमीन होने के बाद भी किसान पूरी तरह से खेती नहीं कर पाते है. इस कारण स्थानीय लोगों की आमदनी नहीं हो पाती है और वहां से पलायन के लिए मजबूर हो जाते है.
बन रहा है रॉक हर्बल गार्डन (Rock Herbal Garden is being built)
जड़ी-बूटी शोध संस्थान ने यहां के पथरीली पहाड़ी पर पनपने वाली औषधीय गुण वाली वनस्पतियों की योजना को बनाया है.फिर इन वनस्पतियों से चमोली जिले के गोपेश्वर में एक रॉक हर्बल गार्डन को बनाया गया है. इस गार्डन में चट्टान पर औषधीय गुणों वाली वनस्पतियों को उगाया गया है. आज इन वनस्पतियों की मांग बाजार में बहुत ही ज्यादा मांग है. साथ ही पर्वतीय जिलों के स्थानीय लोगों और किसानों को भी जागरूक किया जाएगा. इससे आने वाले दिनों में किसान आर्थिक रूप से सुदृढ़ होने लग जाएंगे.
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इतनी है पथरीली जमीन
बता दे कि राज्य के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में पथरीली जमीन चट्टानों की वजह से 1142.16 वर्ग किमी भूमि अनुपयोगी है. कुमाऊं में 611.44 और गढ़वाल मंडल में 530.72 वर्ग किमी भूमि में खेती को करना मुश्किल है. इसके लिए जड़ी -बूटी संस्थान बेहद ही अनूठी पहल कर रहा है.
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